यहां युवा कर्मचारी की मौत के बाद भी काम ना आया गोल्डन कार्ड, परिजनों को चुकाने पड़ेंगे अस्पताल के लाखों रुपए के बिल।
उत्तराखंड राज्य कर्मचारियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर गत वर्ष से गोल्डन कार्ड स्कीम में कर्मचारियों की वेतन से कटौती शुरू कर दी गई थी, लेकिन आरंभ से ही गोल्डन कार्ड योजना को लेकर कर्मचारी संगठन तमाम तरह के सवाल उठा रहे हैं। इस योजना में कर्मचारियों को जहां प्रतिमाह का अंशदान काटा जा रहा है वहीं उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गोल्डन कार्ड से भुगतान की भारी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। ताजे मामले में उत्तरकाशी जनपद में एक नौजवान कर्मचारी की मौत के बाद भी गोल्डन कार्ड से कोई लाभ नहीं मिल पाया है।
उत्तरकाशी जनपद में 15 जनवरी को चुनाव ड्यूटी में जा रहे सहायक विकास अधिकारी सुधीर उनियाल सड़क हादसे में घायल हो गए थे। एक सप्ताह तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष के बाद 24 जनवरी को उनकी मौत हो गई। जानकारी के अनुसार सुधीर उनियाल पुत्र रमेश प्रसाद उनियाल हाल निवास नगर पालिका बड़कोट उत्तराखंड उद्यान विभाग में सहायक विकास अधिकारी थे। 15 जनवरी को सुधीर एक दुपहिया वाहन से लिफ्ट लेकर चुनाव ड्यूटी में शामिल होने के लिए जा रहे थे की दुर्भाग्य से एक निजी वाहन उनकी बाइक को टक्कर मारकर फरार हो गया। हादसे में सुधीर उनियाल को गम्भीर चोटें और बाइक सवार विवेक रावत ग्राम खलाड़ी को मामूली चोटें आई। राज्य के गोल्डन कार्डधारकों को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है, लेकिन सुधीर उनियाल के मामले में अस्पताल ने गोल्डन कार्ड को ही अमान्य बता दिया। एक सप्ताह तक चले उपचार में परिवार का लाखों का खर्चा होगया। गोल्डन कार्ड होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने कार्ड को अमान्य बताकर 7 लाख का बिल परिजनों को थमा दिया। युवा कर्मचारी के असमय निधन से जहां परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है वहीं गोल्डन कार्ड से मदद ने मिलने पर मृतक के परिजनों पर अस्पताल का बिल चुकाने का भार भी पड़ गया है।
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