Uttarakhand School Education: अजब-गजब: छात्र बजा रहे है घंटी और शिक्षक बने हैं दफ्तरी, यहां 373 विद्यार्थियों का कैसे संवारेगा भविष्य, प्रधानाचार्य और शिक्षकों सहित प्रशासनिक अधिकारी, लिपिक, दफ्तरी और अनुसेवकों के भी पद वर्षो से हैं खाली,
Himwant Educational News: 373 स्कूली बच्चों के लिए विद्यालय में न तो एक भी परिचारक, न दफ्तरी और न ही प्रधानाचार्य कार्यालय में कोई कर्मचारी। और तो छोड़िए विद्यालय में प्रधानाचार्य सहित भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, संस्कृत और नागरिक शास्त्र प्रवक्ताओं के पद भी लंबे समय से खाली। अब प्रभारी प्रधानाचार्य क्या-क्या जो करें। अपना विषय पढ़ाएं या विद्यालय के प्रशासनिक कार्यों का और प्रधानाचार्य की दायित्वों का निर्वहन करें? विद्यालय के अन्य शिक्षकों को भी कमोवेश यहां के प्रभारी प्रधानाचार्य जैसे ही हालातो से गुजरना पड़ रहा है।
शिक्षक अपने विषय का शिक्षण करें या फिर परिचारक बनाकर विद्यालय का गेट और कक्षा कक्षों और कार्यालय की ताले और दरवाजे खिड़कियां खोलें, बंद करें। यह आलम है चंपावत जनपद के राजकीय इंटर कॉलेज किमतोली का। यह अकेला उदाहरण नहीं है उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलेंगे।
प्रभारी प्रधानाचार्य, विद्यालय के ताले खोलते हुए |
पीटीए अध्यक्ष माधो सिंह अधिकारी का कहना है कि विद्यालय में शिक्षक और कर्मचारियों के अधिकत्तर पद खाली है। प्रवक्ताओं की तैनाती नहीं हो पा रही है। मिनिस्टीरियल संवर्ग का एक भी पद नहीं भरा गया है। इसका असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। कुछ समय बाद सेवानिवृत्त होने वाले चतुर्थ कर्मी के भी अक्सर छुट्टी में रहने से स्थिति खराब है। छात्र घंटी बजाने के लिए और शिक्षक कक्षों का ताला खोलने के लिए मजबूर हैं। इस संबंध में सुधार के लिए शिक्षा विभाग से लेकर सीएम को पत्र भेजा गया है। लेकिन अभी तक किसी ने भी विद्यालय की सुध नहीं ली।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी?
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विभाग में लंबे समय से परिचारकों की भर्ती नहीं हो रही है। परिचारकों की सेवानिवृत्ति के साथ ही उनके सृजित पद खत्म हो रहे हैं। जिस कारण कई विद्यालय में ऐसे हालात बन रहे हैं। उधर खंड शिक्षाधिकारी लोहाघाट बीपी कुशवाहा का कहना है कि लोहाघाट विकासखंड के अधिकांश विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मी नहीं है। ऐसे में कई जगह उनकी जिम्मेदारी को स्कूल के शिक्षक और अन्य कर्मचारी मिलजुल कर निभा रहे हैं। विद्यालय में खाली पदों को भरने और चतुर्थ श्रेणी कर्मी की तैनाती के लिए वैकल्पिक उपाय करने का प्रयास किया जा रहा है।
छात्रों को नहीं मिल पा रही है गुणवत्ता युक्त शिक्षा
प्रधानाचार्य सहित भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, संस्कृत और नागरिक शास्त्र जैसे महत्वपूर्ण और जटिल विषयों की प्रवक्ताओं की कमी के कारण विद्यालय का शैक्षणिक माहौल गुणवत्ता युक्त नहीं बन पा रहा है। छात्र-छात्राओं और अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण उनकी पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
Comments
Post a Comment
पोस्ट पर अपने उपयोगी विचार और सुझाव यहाँ कमेंट करें।