School Education Uttarakhand: निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट के लिए अमर्यादित भाषाशैली को लेकर शिक्षकों में उबाल, निदेशक और शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वालों को नही करेंगे बर्दास्त- राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड
निदेशक माध्यमिक शिक्षा- महावीर सिंह बिष्ट |
School Education Uttarakhand: एजुकेशन मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स ऐसोशियेशन द्वारा जारी पत्र में निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट के लिए की गई अमर्यादित टिप्पणी और अनर्गल आरोपो को लेकर राजकीय शिक्षक संघ ने सख्त नाराजगी व्यक्त की है। राज्य के सैकड़ो शिक्षकों ने जहां सोशल मीडिया में निदेशक के प्रति किए गए इस अमर्यादित व्यवहार और पत्राचार पर सवाल उठाए हैं वही राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा है कि निदेशक और शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वालों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गंभीर आरोप लगाते हुए निर्देशक को दी नसीहत
एजुकेशन मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स संगठन उत्तराखंड के प्रांतीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह गुसाई और महामंत्री साबर सिंह रौथान सहित अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षर से निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट को जारी पत्र में संगठन द्वारा उन पर हाल में ही आहरण वितरण अधिकारी का प्रभार प्रभारी प्रधानाचार्य को सौपने के निर्णय को मनमाना और भेदभाव से प्रेरित बताते हुई अनेक आरोप लगाए हैं। मिनिस्ट्रियल संगठन ने ने पत्र के माध्यम से जहां निदेशक पर आरोप लगाए हैं वही उन्हें कई मुद्दों पर नसीहत भी दी है।
निदेशक और शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का सुनियोजित प्रयास
यह पत्र सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कई शिक्षकों निदेशक माध्यमिक शिक्षा पर लगाए गए आरोपो और पत्र की भाषा शैली पर सख्त आपत्ति करते हुए निदेशक के समर्थन में खुलकर सामने आने की घोषणा की है। शिक्षकों का कहना है कि पत्र की भाषा शैली से स्पष्ट हो जाता है कि यह निदेशक सहित राज्य के हजारों शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने की इरादे से संयोजित ढग से तैयार किया गया है।
राज्य का हर शिक्षक आत्मसम्मान की इस लड़ाई में निदेशक एमएस बिष्ट के साथ
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामसिंह चौहान ने कहा है की "निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट के साथ किये गये अभद्र व्यवहार और अशोभनीय भाषा की राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड निंदा ही नहीं घोर भर्त्सना भी करता है। हमारे आत्मसम्मान से खेलने वालों को क़तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। चाहे कितना भी बड़ा आंदोलन करना पड़े। आइए साथियों अपने आत्मसम्मान की लड़ाई के लिए एकजुटता का परिचय दें और निदेशक माध्यमिक शिक्षा को बृहद समर्थन दें। राज्य के शिक्षक निदेशक एमएस बिष्ट के साथ हर परिस्थिति में एकजुट होकर खड़े हैं।"
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राजकीय शिक्षक सघ गढ़वाल मंडल नहीं व्यक्त किया अपना विरोध
दूसरी ओर राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मंडल ने एजुकेशन मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स एसोसिएशन उत्तराखंड के पदाधिकारियों द्वारा निदेशक माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड महावीर सिंह बिष्ट जी के अपमान पर कड़ा रोष व्यक्त किया है। गढ़वाल मंडल महामंत्री डॉ हेमन्त पैन्यूली द्वारा संगठन के पदाधिकारियों द्वारा निदेशक को संबोधित पत्र की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा की निदेशक हमारे और मिनिस्टीरियल के भी सर्वोच्च विभागीय अधिकारी हैं उनको प्रेषित विरोध पत्र में इस तरह की अनर्गल और धमकी भरी भाषा का कोई औचित्य नहीं है इस पत्र की भाषा से स्पष्ट है की मिनिस्टीरियल के कर्मचारी अपनी मर्यादा भूल चुके हैं। तथा एक उच्च अधिकारी को अभद्र भाषा में पत्र प्रेषित कर अपनी सीमाओं को लांघ रहे हैं, उन्होंने इस मुद्दे पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा श्री महावीर सिंह बिष्ट से एजुकेशनल मिनिस्टर ऑफिसर्स एसोसिएशन के द्वारा तत्काल माफी मांगे जाने की मांग की है। श्री बिष्ट विभागीय मुद्दों पर अपनी निष्पक्ष व सटीक राय रखकर एक सक्रिय अधिकारी की भूमिका निभाते आए हैं इतने वरिष्ठ अधिकारी के अभद्र विरोध को उन्होंने अनुचित बताया तथा मिनिस्ट्रियल संगठन के पदाधिकारी द्वारा निदेशक महोदय से माफी नहीं मांगी जाती है तो उन्होंने निदेशक महोदय के समर्थन में आंदोलन की चेतावनी दी। राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मंडल प्रवक्ता कमलनयन रतूड़ी ने निदेशक की पूर्व सेवाओं पर टिप्पणी को मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन का असंवेदनशील रवैया बताया, जिस तरह से मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के पदाधिकारी इतने अनुभवी अधिकारी को नियम कानून का पाठ पढ़ा रहे हैं उसे लगता है की संगठन अपनी सीमाओं को भूल चुका है।
विरोध का यह तरीका नहीं हो सकता है स्वीकार्य
मंडलीय मीडिया प्रवक्ता सुशील डभाल ने मिनिस्ट्रियल संवर्ग के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उच्च अधिकारी के लिए प्रयुक्त भाषा शली पर नाराजगी व्यक्त करते हुई कहा है कि विरोध करने का यह तरीका बिल्कुल उचित नहीं है। विभागीय पत्राचार में भाषा शैली और प्रोटोकॉल का लिहाजा रखा जाना चाहिए। इस कृत्य से जहां निदेशक माध्यमिक शिक्षा आहत हुए हैं, वही राज्य के हजारों शिक्षकों में भी भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है।
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