उत्तराखंड में कक्षा 5 और 8 में पास होने की गारंटी हुई खत्म, अब पढ़ने वाले बच्चे ही हो सकेंगे पास।
उत्तराखंड में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत पांचवीं और आठवीं में पास होने की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने नियमावली में संशोधन कर पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में दक्षता प्राप्त न कर सकने वाले छात्रों को फेल करने की व्यवस्था कर दी है।
उत्तराखण्ड राज्य अब कक्षा 8 तक अनिवार्य रूप से पास करने की व्यवस्था अब खत्म हो चुकी है। पढ़ाई को तवज्जो न देने वाले छात्र छात्रा अब पांचवी और आठवी की परीक्षाओं में पास नही हो पौएँगे। हालांकि फेल होने पर उनको एक मौका और दिया जाएगा और दो माह में उनकी दोबारा परीक्षा होगी, अगर छात्र उसमें पास नहीं हुआ तो उसे उसी कक्षा में एक वर्ष और पढ़ना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 13 प्रस्तावों में से 10 को मंजूरी मिली।
शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने केंद्र की तर्ज पर उत्तराखंड निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियमावली में बदलाव को मंजूरी दी है। अधिनियम में यह प्रावधान है कि किसी भी स्कूल में प्रवेश लेने वाले बच्चे को किसी कक्षा में फेल नहीं किया जाएगा। फेल होने की स्थिति में उसे दोबारा दो माह पढ़ाया जाएगा और अगली कक्षा में भेज दिया जाएगा। यह व्यवस्था अब समाप्त हो गई है। अब स्कूल तय करेगा कि छात्र पांचवीं की परीक्षा पास कर छठी और आठवीं की परीक्षा पास कर नौवीं में जाने के काबिल है या नहीं। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था से जहां शिक्षा के स्तर में सुधार होगा वंही मेहनती विद्यर्थियों का मनोबल भी बढ़ेगा।
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