लॉकडाउन में Online classes के नाम पर फीस के लिए निजी स्कूल कर रहे है खूब दिखावा।
लॉक डाउन के दौरान अधिकतर निजी विद्यालयों ने ऑनलाइन क्लासेज और छात्रहित के दिखावे के नाम पर पैसे लूटने का अच्छा प्रपंच जोड़ रखा है। साइबर सुरक्षा के लिए दुनियाभर में बदनाम हो चुके Zoom app के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज का दम भरने वाले यह स्कूल इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं कि zoom app को दुनिया के कई देश उसकी निजता एवं सुरक्षा सम्बन्धी खामियों को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित कर चुके हैं और भारत सरकार की साइबर सुरक्षा एजेंसी भी इसके इस्तेमाल को असुरक्षित घोषित कर चुकी है। गूगल ने अपने सभी कर्मचारियों को इस app को इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। यह हकीकत है इन दिनों कुछ निजी स्कूलों के ऑनलाइन क्लासेज के लिए अस्त्र बने Zoom app की।
अब बात करना चाहूंगा इस app के माध्यम से सीखने व सिखाने की प्रक्रिया की। Zoom app और इससे मिलते जुलते app के माध्यम से बच्चे शिक्षको से शैक्षणिक संवाद कम और सहपाठियों के साथ अनावश्यक बार्तालाप खूब कर रहे हैं। कनेक्टिविटी के अभाव में घण्टों तक तो बच्चे शिक्षकों के साथ जुड़ ही नही पा रहे हैं और जब जुड़ रहे हैं तब क्लासेज के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हो पा रही है। बच्चों को अच्छी शिक्षा की चाहत में पहुंच में न होने के बाबजूद इन स्कूलों के दबाव में कई अभिभावकों ने छोटे छोटे बच्चों को स्मार्ट फोन थमा दिए हैं और कनेक्टिविटी सहित तमाम तकनीकी दिक्कतों के कारण ऑनलाइन क्लासेज चलें या न चल पाएं बच्चे पढ़ने के नामपर घंटों स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर नजरें टिकाए हुए हैं। कुछ निजी स्कूलों के शिक्षक तो ऑनलाइन क्लासेज ने नाम पर पाठ्य पुस्तकों की 20-25 पेजों के फोटो एक साथ परोस दे रहे हैं। इसी तरह यू ट्यूब वीडियो भी ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर खूब इधर उधर हो रहे है। निजी स्कूलों द्वारा यह न जाने किस तरह का teaching method प्रयोग किया जा रहा है। कुछ मौलिक कार्य के बजाय पहले से तैयार सामग्री को whatsapp आदि के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाने को ही ऑनलाइन क्लासेज कहना कहाँ तक उचित होगा? यह कार्य तो बच्चे और अभिभावक स्वयं भी कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि निजी स्कूलों को न तो लॉकडाउन के कारण बच्चों की पढ़ाई के नुकशान की चिंता है और न ही अभिभावकों की साइबर सुरक्षा की। उन्हें चिंता केवल इस बात की है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार के नियमो को ताकपर रखते हुए अभिभावकों से शुल्क किस तरह वसूला जाय। इन स्कूलों के प्रबन्धको को चाहिए कि वे ऐसे प्रपंच जोड़ने के बजाय अपने शिक्षकों को वर्षों से अभिभावकों की जेब ढीली कर जमा की गई पूंजी से वेतन दें।
बिल्कुल सही तथ्य सामने रखे हैं आपने,सच सामने रखने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteयह स्कूल ऑनलाइन के नाम पर का लूटने का नया तरीका है
ReplyDeleteGood effort
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