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CUET UG 2025 Date: 8 मई से देशभर में होगी सीयूईटी यूजी परीक्षा, इस लिंक पर तुरंत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

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CUET 2025 Registration, Exam Date: इस वर्ष सीबीएसई सहित देश भर के सभी राज्यों के शिक्षा बोर्ड से सीनियर सेकेंडरी यानी 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए परीक्षार्थियों के लिए यह बेहद उपयोगी सूचना है। एनटीए ने सीयूईटी यूजी 2025 रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कर दी है। ऑफिशियल वेबसाइट cuet.nta.nic.in पर नोटिफिकेशन और इन्फॉर्मेशन बुलेटिन जारी किया गया है। सीयूईटी का फॉर्म भरने की लास्ट डेट 22 मार्च है। जबकि सीयूईटी 2025 एग्जाम डेट 8 मई से लेकर 1 जून तक तय है। CUET 2025, Highlights सीयूईटी यूजी 2025 रजिस्ट्रेशन शुरू 22 मार्च तक आवेदन,  CBT मोड में होगी परीक्षा चुन सकते हैं सिर्फ 5 विषय CUET UG - 2025, Touch hear for Registration कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET- UG) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शनिवार, 1 मार्च की रात से शुरू हो गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए 22 मार्च 2025 तक का समय दिया है। 23 मार्च तक सीयूईटी यूजी फीस जमा करवाई जा सकती है। योग्य छात्र छात्राएं सीयूईटी की ऑफिशियल वेबसाइट cuet.nta.nic.in के जरिए आवेदन फॉर्म ऑनलाइन भर सकते हैं। इस ब...

आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास

आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास
निश्चित समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय की वृद्धि, आर्थिक समृद्धि है। यह एक भौतिक अवधारणा है। यदि, राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है, तो माना जाता है कि आर्थिक संवृद्धि हो रही है। आर्थिक विकास की धारणा आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक व्यापक है। आर्थिक संवृद्धि उत्पादन की वृद्धि से संबंधित है, जबकि आर्थिक विकास उत्पादन की वृद्धि के साथ-साथ, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक गुणात्मक एवं परिणात्मक सभी परिवर्तनों से सम्बन्धित है। आर्थिक संवृद्धि वस्तुनिष्ट है जबकि आर्थिक विकास व्यक्तिनिष्ठ।
       आर्थिक विकास के माप में प्रति व्यक्ति आय के जीवन की गुणवत्ता को सही माप नही माना जाता है। इसकी माप में अनेक चारों को सम्मिलित किया जाता है जैसे-आर्थिक, राजनैतिक तथा सामाजिक संस्थाओं के स्वरूप में परिवर्तन, शिक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवायें प्रति व्यक्ति टिकाऊ उपभोग वस्तु आदि।

आर्थिक संवृद्धि = केवल परिमाणात्मक परिवर्तन
आर्थिक विकास = परिणात्मक तथा गुणात्मक परिवर्तन
आर्थिक विकास की माप = विभिन्न देशों के आर्थिक विकास की तुलनात्मक स्थिति ज्ञात करने के लिए पाँच दृष्टिकोण हैं-;
(A) आधारभूत आवश्यक प्रत्यागम – (Basic Needs Approaches) इस दृष्टिकोण का प्रतिवादन-1970 में विश्व बैंक ने किया।
(B) जीवन की भौतिक गुणवत्ता निर्देशांक (Physical Quality of Life Indext -PQLI) इस Index के जान टिनवर्जन एवं मारिश डी0 माॅरिश ने प्रस्तुत किया। च्फस्प् के अन्तर्गत आर्थिक विकास के मापन के लिए तीन सूचकांक का प्रयोग किया जाता है।
जीवन प्रत्याशा(Life Expectancy)   बाल मृत्युदर (Infant Mortality)  साक्षरता (Literary)
(C) निवल आर्थिक कल्याण (Neat Economic Welfare) मापक -विलियम नोरधस तथा जेम्स टोबिन ने जीवन की गुणवत्ता में सुधार जो आर्थिक विकास की मापक है, की माप के लिए मंजर आफ इकनामिक वेलफेयर (MEW) की धारणा विकसित की जिसे बाद में सेमुएलसन ने संशोधित किया तथा इसे (NEW) मापक रहा।
(D) क्रय शक्ति समता विधि (Purchasing Power Parity Method):- इस विधि का प्रतिपादन जी0आर0 कैसेल ने किया। इसके अन्तर्गत किसी देश की सकल राष्ट्रीय आय के किसी पूर्व निश्चित अन्तर्राष्ट्रीय विदेशाी विनिमय दर पर व्यक्त न करे, उस देश के भीतर मुद्रा की क्रयशक्ति के आधार पर व्यक्त किया जाता है। वर्तमान के विश्व बैंक इसी विधि का प्रयोग विभिन्न देशों के रहन-सहन की तुलना के लिए कर रहा है।
(E) मानव विकास सूचकांक (Human Ebullient India):- इस सूचकांक की अवधारण यूनाइटेड नेशन्स से जुड़े प्रोग्राम से जुड़े प्रसिद्ध अर्थशास्त्री महबूत उल हक एवं उनके अन्य सहयोगी ए0के0 सेन तथा सिंगर हंस ने 1990 में किया।
मानव विकास सूचकांक –2010 के पहले मानव विकास का आकलन जीवन-प्रकाश, साक्षरता और प्रति व्यक्ति आय पर की जाती थी, जबकि 2010 के बाद यह आकलन दीर्घ आयु और स्वस्थ्य जीवन, ज्ञान तक पहुँच और सम्मानजनक जीवन स्तर के आधार पर की जाती है।
मानव विकास सूचकांक मानव विकास के बहुआयामी पहलुओं पर विश्व का ध्यान आकृष्ट करने तथा विभिन्न राष्ट्रों द्वारा निर्धारित मानकों के सापेक्ष किए गए प्रयासों एवं प्राप्तियों का एक वैश्विक विश्लेषण प्रस्तुत करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा वर्ष 1990 से प्रतिवर्ष मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report-HDR) का प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों (लंबा एवं स्वस्थ जीवन, ज्ञान तक पहुंच तथा जीवन-यापन का एक सभ्य स्तर) द्वारा प्रगति का वैश्विक धरातल पर आकलन किया जाता है।


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