बड़ी खबर, पहली से लेकर 12वीं तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET)
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने शिक्षक पात्रता परीक्षा को अब पहली से 12वीं क्लास तक लिए अनिवार्य कर दिया है. पहली से लेकर 12वीं तक के सभी स्कूली टीचर्स के लिए अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) या केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीइटी) पास होना जरूरी होगा। नई शिक्षा नीति को देखते हुए बेहतर शिक्षकों के चयन के लिए यह बदलाव किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि अब तक टीइटी की अनिवार्यता केवल पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए थी। हालांकि उत्तराखंड सहित कई राज्यो में एलटी ग्रेड के माध्यमिक शिक्षकों के लिए टीईटी-2 की अनिवार्यता थी लेकिन, लेकिन अब 11वीं व 12वीं यानी पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (पीजीटी) जिन्हें उत्तराखंड सहित कुछ राज्यो में प्रवक्ता पदनाम दिया गया है के लिए इसकी जरूरत नहीं होती थी. लेकिन, अब इसकी जरूरत कक्षा 12 तक के सभी शिक्षकों को होगी. एनसीटीइ सूत्रों के मुताविक अब किसी भी क्लास में पढ़ाने के लिए (टीइटी) पास करना अनिवार्य है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. इस संबंध में दिशा-निर्देश व टेस्ट पैटर्न तैयार किया जायेगा. टेस्ट पैटर्न के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया गया है. क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए यह तैयारी की गयी है. एनसीटीई द्वारा शीघ्र इस बदलाव का नोटिफिकेशन जारी किए जाने की उम्मीद है।
फोटो- राजकीय इंटर कॉलेज मंजकोट नगुण टिहरी गढ़वाल से प्रवक्ता अर्थशास्त्र दीपिका श्रीवास्तव और राजकीय इंटर कॉलेज कमलपुर पौड़ी गढ़वाल से सहायक अध्यापिका श्रीमती वीना रावत।
प्रवक्ताओं के लिए भी TET परीक्षा अनिवार्य होना,काबिलेतारीफ है,इसके अलावा प्रधानाचार्य के पद के लिए भी TET जैसी परीक्षा अनिवार्य होनी ही चाहिए ।। प्रोमोशन की आड़ में पद प्राप्ति बन्द होनी ही चाहिए ।।
ReplyDeleteपूर्णतः सहमत हूँ सर।
Deleteसही फैसला है
ReplyDeleteसहमत
DeleteBikl thik kha..... TET. Ek jaruri manak hoga to subject ke sath sath teaching skil ka bhi test ho jayega ..kyoki interview ko to ab hata hi diya hai
ReplyDeleteयही फैसला
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात है। शिक्षकों की योग्यता के मानक उच्च होने चाहिए लेकिन हमारे जनप्रतिनिधियों की उम्मीदवारी के लिए भी कम से कम 21वीं सदी में तो शैक्षिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता सम्बन्धी टेस्ट अनिवार्य होने चाहिए।
ReplyDeleteYe to kab se sunayi padh gaya tha par dekhna ye hai ki dharatal par kab utar payega.....
ReplyDeleteडोभाल जी आपकी ई पत्रिका का मैं नियमित पाठक हूँ।
ReplyDeleteआप उत्कृष्ट कोटि के रचनाधर्मी शिक्षक,पत्रकार और सम्पादक हैं।
धन्यवाद असवाल जी, आप जैसे अनुभवी और समर्पित शिक्षक साथियों की प्रेरणाओं से ही कुछ प्रयास कर पा रहा हूँ।
Deleteउचित निर्णय। शिक्षा अधिकारियों के लिए भी बी एड अनिवार्य होना चाहिए। जिससे वे भली प्रकार से! अपने दायित्व का निर्वहन कर सकें। वरना! आजकल तोअखबारों में सुर्ख़ियां बनाने का ही काम करते हैं।
ReplyDeleteबिल्कुल सही सर। अधिकारियों और संस्थाध्यक्षों के लिए उचित प्रशिक्षण की अनिवार्यता भी अच्छी परिणाम ला सकेगी।
Deleteशिक्षक वर्ग की गुणवत्ता में सुधार हेतु किए जाने वाला कोई भी प्रयास सराहनीय ही होता है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव छात्रों के अधिगम स्तर पर पड़ता है। नवीन व्यवस्था के तहत यह कदम और भी सराहनीय है क्योंकि एक शिक्षक के लिए विषय ज्ञान के साथ-साथ शिक्षण अभिरुचि होना भी अत्यंत आवश्यक है। यह नई व्यवस्था शिक्षण में उन लोगों का स्वागत करेगी जिनके लिए शिक्षक बनना प्रथम वरीयता होती है। परंतु इसके साथ साथ मैं यह भी कहना चाहूंगा की शिक्षक के अलावा अन्य पहलुओं पर भी विचार एवं आवश्यक सुधार होने बहुत जरूरी हैं।
ReplyDeleteहिमवंत के माध्यम से शिक्षकों को आपस में संवाद करने का भी एक माध्यम प्राप्त हुआ है इसके लिए मैं डोभाल जी को हार्दिक बधाइयां देता हूं।
धन्यवाद सर। आपके सुझाव हमेशा ही प्रशंसनीय रहते हैं। पुनः धन्यवाद।
Deleteशिक्षक समाज के पथप्रदर्शक होते है. बेहतरीन समाज के निर्माण के लिए सुयोग्य व्यक्तियों का चयन होना जरूरी है. इसके लिए जरूरी है नियुक्ति के मानदण्ड कठोर औऱ व्यापक हो. इसके लिए सभी स्तर पर न केवल नियुक्ति के पूर्व बल्कि नियुक्ति के बाद भी समय समय पर योग्यता व नई चुनौतियों की सामना करने की क्षमता का भी परीक्षण होते रहना चाहिए. इस संदर्भ में नई शिक्षा नीति मिल का पत्थर साबित होंगी. ����
ReplyDeleteIt's commendable decision.
ReplyDeleteयोग्यतम उम्मीदवार का चयन होना चाहिए. अतः ncte का यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में कारगर साबित होंगी.
ReplyDeleteशिक्षक पात्रता परीक्षा को इंटरमीडिएट लेवल तक अनिवार्य करना बड़ा सराहनीय कदम है इससे शिक्षा की गुणवत्ता में अनिवार्य रूप से सुधार होगा और शिक्षकों की गुणवत्तापरक शिक्षण को बढ़ावा मिलेगा जो शिक्षा के स्तर को उठाने में सहायक होगा।
ReplyDeleteसमय-समय पर श्री डोभाल जी द्वारा शैक्षिक विषयों को शिक्षको तक पहुंचाने के लिए हार्दिक बधाइयां।
जी धन्यवाद।
Deleteयह निर्णय स्वागतयोग्य है , शिक्षको की योग्यता के मानक कड़े होने ही चाहिए जिससे योग्य शिक्षक ही मिले।
ReplyDeleteमानव संसाधन के विकास में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इसलिए यह कदम भी मिल क् पत्थर साबित होगा। साथ ही शिक्षा का आदर्श वातावरण भी तैयार होगा।
ReplyDeleteमैं श्री डोभाल जी को शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों नवाचारों के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं
धन्यवाद डिमरी जी। आप जैसे कर्मठ साथियों के विचार मेरे लिए प्रेरणीय है।
Deleteराष्ट्र के भावी कर्णधारों को तैयार करने का उत्तरदायित्व शिक्षकों पर होता है। ऐसे में हर स्तर के शिक्षकों के चयन के लिए मानक उच्च होने ही चाहिए। एनसीटीई का यह कदम स्वागत योग्य है।
ReplyDeleteआदरणीय डोभाल सर 'हिमवंत' के माध्यम से जहां आप न केवल अपने वरन् अन्य शिक्षक साथियों के शैक्षिक नवाचारों से भी हम सभी को अवगत करा कर प्रेरणा देते हैैं, वहीं विभिन्न सूचनाओं को साझा कर आपस में संवाद भी स्थापित करवाते हैं।
धन्यवाद बड़ोनी जी, शिक्षा, शिक्षक और विद्यार्थियों के हित में आपके विचार स्वागतयोग्य हैं। पुनः धन्यवाद।
Deleteमेरे विचार से प्रवेश परीक्षाओं में सख्ती बरतने के स्थान पर प्रशिक्षण स्तर को सुधारा जाना ज्यादा व्यवहारिक एवं कारगर होगा
ReplyDeleteबिल्कुल सही। शिक्षकों के प्रशिक्षण को अधिक व्यावहारिक बनाये जाने के साथ संस्थाध्यक्षों और विभागीय अधिकारियों के लिए भी उचित प्रशिक्षण की नितांत आवश्यकता है।
DeleteIt is right decision
ReplyDeleteडोभाल जी को नमस्कार। आपके द्वारा संपादित यह सूचना स्वागतयोग्य है प्रवक्ता पद हेतु नया मापदण्ड स्वागतयोग्य कदम है। इस पद पर विषय विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है क्यों माध्यमिक स्तर के बाद Students को JEE, NEET, उच्च शिक्षा या अन्य विभिन्न क्षेत्रों में जाना है। अतः ज्ञान सम्पन्न शिक्षक से पढ़कर उन्हे आगे के मार्ग पर चलने हेतु आसानी होगी। धन्यवाद सर।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
DeleteTotally agree with you uncle ji....
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