उत्तराखंड में 189 अटल उत्कृष्ट इंटर कॉलेजों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों के पदों पर तैनाती के लिए विभाग ने राजकीय शिक्षकों से आवेदन मांगे हैं। शिक्षकों को अपने अपने संवर्गो में आवेदन करने होंगे। चयन उत्तराखंड बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली स्क्रीनिंग परीक्षा के आधार पर किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में सरकार द्वारा प्रत्येक विकासखंड में दो दो अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेजों के चयन किया है। इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम में पठन-पाठन किया जाना है। राज्य के निजी विद्यालयों की मनमानी और सरकारी विद्यालयों में गिरती छात्र संख्या को को रोकने के लिए सरकार द्वारा अटल उत्कृष्ट विद्यालयों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी सीबीएसई से सम्बद्ध कर रही है। प्रथम चरण में कई विद्यालयों को सीबीएसई द्वारा प्रोविजनल ऐफिलेशन दिया गया है जबकि कुछ विद्यालय विद्यालय भवन, भूमि, प्रयोगशालाएं, खेल मैदान और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी शर्तों को पूरा न कर पाने के कारण अभी तक सीबीएससी की संबद्धता प्राप्त नहीं कर पाए हैं।
विभाग द्वारा आज राजकीय अटल उत्कृष्ट विद्यालय में शिक्षकों की तैनाती के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों से अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में अपने-अपने संवर्गो के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इन पदों पर आवेदन के लिए वही शिक्षक पात्र होंगे जो अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण और संवाद करने में सक्षम होंगे तथा जिनकी आयु 55 वर्ष से कम होगी। इन विद्यलयो मे पूर्व से अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों को भी अटल उत्कृष्ट विद्यलयो में तैनाती के लिए इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा अन्यथा उन्हें उनकी पिछली सेवाओं के आधार पर अन्य विद्यालयों में समायोजन का अवसर मिलेगा। आवेदन पत्र विभागीय वेबसाइट पर दिए गए अलग-अलग प्रारूपों पर भरकर मेल के माध्यम से विभाग को भेजने होंगे।
जानकारों की माने तो अधिकतर शिक्षक इन पदों पर तैनाती में रुचि नहीं लेंगे। क्योंकि अटल उत्कृष्ट बनाए गए विद्यालय विकास खंडों के दुर्गम क्षेत्रों में स्थित हैं, इस लिहाज से कम शिक्षक ही इन पदों पर तैनाती के लिए रुचि लेंगे। साथ ही अभी तक अटल उत्कृष्ट विद्यालय में अपनी सेवाएं देने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त किसी भी प्रकार का लाभ न दिए जाने तथा अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण की अनिवार्यता भी शिक्षकों के रुचि ना लेने का एक प्रमुख कारण बनेगा। पूर्व में निर्गत शासनादेश में उल्लेख किया गया है कि स्क्रीनिंग परीक्षा का आयोजन आवेदकों द्वारा अधिक मात्रा में प्रतिभाग करने पर किया जाएगा इससे स्पष्ट हो जाता है कि यदि आवेदक कम होंगे तो चयन समिति साक्षात्कार और टीचिंग परफॉर्मेंस और कॉम्युनिकेशन स्किल आदि के आधार पर शिक्षकों को इन विद्यालयों में तैनाती के मौके देगी। विज्ञप्ति पर यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है इन विद्यालयों में तैनात किए जाने वाले शिक्षकों का अलग संवर्ग होगा या इनको विभागीय प्रतिनियुक्ति दी जाएगी। पूर्व में राज्य के राजकीय आदर्श विद्यालय में भी शिक्षकों की तैनाती के साथ ही अंग्रेजी माध्यम को प्राथमिकता दी गई थी किंतु इन विद्यालयों की स्थापना का उद्देश्य भी अभी तक पूरा नही हो पाया।
अटल उत्कृष्ट विद्यलयो की संकल्पना उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सावित हो सकती है। सीबीएसई ऐफिलेशन और अंग्रेजी माध्यम के आकर्षण से निश्चित ही छात्र संख्या बढ़ेगी, लेकिन दूर दराज के क्षेत्रों में अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोलने के बजाय शहरी क्षेत्रों और जिला मुख्यालयों से इनकी शुरुआत की जाती तो और भी बेहतर परिणाम मिल सकते थे।
सीबीएसई ऐफिलेशन की क्या जरूरत पड़ गयी थी क्या आपके अपने राज्य का शिक्षा परिषद अयोग्य है?? अपने राज्य के शिक्षा बोर्ड में व्याप्त कमियों को दूर करने के बजाय इस प्रकार स्कूलों को दो बोर्डो में बांटना क्या उचित होगा??
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