अतिथि शिक्षकों के पदों को खाली न दिखाने के निर्णय पर नाराज राजकीय शिक्षक पहुंचेंगे हाईकोर्ट।
उल्लेखनीय है कि हाल में ही उत्तराखंड कैबिनेट ने अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के प्रस्ताव पर मोहर लगाई थी जिससे एक ओर अतिथि शिक्षकों में सरकार के इस निर्णय को लेकर खुशी और उत्साह का माहौल व्याप्त है जबकि दूसरी ओर राजकीय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक नेताओं और शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। राजकीय शिक्षकों का कहना है कि एक और अतिथि अतिथि शिक्षक सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के अधीन अपनी सेवाएं अस्थाई रूप से दे रहे हैं जिसके तहत सीधी भर्ती अथवा प्रमोशन से शिक्षक मिलने पर उनके पदों को स्वतः ही समाप्त समझे जाने का निर्णय दिया गया है दूसरी ओर सरकार उन्हें खुश करने के लिए उनके पदों को और खाली न दिखाने का निर्णय ले रही है। अतिथि शिक्षकों के पदों को खाली न दिखाये जाए जाने पर एक और वर्षो से एक ही दुर्गम स्थान पर जमे शिक्षकों के स्थानांतरण के विकल्प खत्म हो रहे हैं जबकि दूसरी ओर पदोन्नतियों के रास्ते भी बंद हो रहे हैं। इस प्रकरण को लेकर गत दिवस राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी के नेतृत्व में दोनों मंडलों के शिक्षक संघ पदाधिकारियों और शिक्षक नेताओं की बैठक आयोजित की गई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि मामले को लेकर पहले शिक्षा मंत्री से मुलाकात की जाएगी और उनके समक्ष आपत्ति दर्ज की जाएगी और शिक्षक संघ का पक्ष न समझा गया तो माननीय हाईकोर्ट के समक्ष मामला रखा जाएगा। बैठक में राजकीय शिक्षक संघ के नेता व पदाधिकारी विजय गोस्वामी , रविंद्र राणा, योगेश घिडियाल, हेमन्त पैन्यूली , बृजेश पंवार, धृपाल रौतेला, सुभाष झड़ियाल , नागेन्द्र पुरोहित , जयदीप रावत, मनमोहन चौहान, श्याम सिंह सरियाल , लक्ष्मण रावत, अनिल बडो़नी, राकेश मोहन कंडारी, चक्रपाणि सिरयाल, केशर रावत, शिशुपाल कंडियाल, विनोद नौटियाल, सुनील असवाल , विजयपाल मियां , जगदीश ग्रामीण, नवेन्दु रावत, आनंद सजवाण, लीलानंद राणा, नितिन राठी, राजेश भट्ट, मुकेश रावत आदि अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।
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