राज्य के सरकारी विद्यालय केवल सरकारी मदद पर नही रहेंगे निर्भर, विद्यांजलि पोर्टल पर करना होगा अनिवार्यतः रजिस्ट्रेशन।
उत्तराखंड के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल अपनी जरूरतों के लिए अब सिर्फ सरकारी मदद पर ही निर्भर नहीं रहेंगे। इन विद्यालयों में शिक्षक, सामग्री, उपकरण जैसी अन्य आवश्यकताएं निजी क्षेत्र से भी पूरी की जा सकती है। इसके लिए सभी स्कूलों को विद्यांजलि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश भर के स्कूलों में सामुदायिक और निजी क्षेत्र की भागीदरी के माध्यम से स्कूलों को मजबूत करने के उद्देश्य से एक नई पहल शुरू की है जिसे विद्यांजली पोर्टल 2.0 नाम दिया गया है। यह पहल देशभर के विभिन्न स्वयंसेवकों, युवा पेशेवरों, स्कूल के पूर्व छात्रों, शिक्षकों और कई अन्य सरकारी अधिकारियों को स्कूल के साथ जोड़ेगी। विद्यांजलि के माध्यम से स्वयंसेवक अपनी पसंद के स्कूल-कॉलेजों में आवश्यकतानुसार ज्ञान व कौशल की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय, स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने विद्यांजलि 2.0 योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों का ज्ञान व कौशल बढ़ाने के लिए उनकी जरूरतें जैसे उपकरण, सामग्री सहित अन्य संसाधनो कोपूरा किया जाना है। योजना के तहत चिह्नित विद्यालयों को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अब सरकार पर ही निर्भर नहीं रहेंगे। अब यह काम पंजीकृत स्वयंसेवक यानी निजी क्षेत्र से पूरा कराया जाएगा। इसके तहत पोर्टल पर पंजीकृत स्वयंसेवक अपनी पसंद के विद्यालयों से सीधे जुड़ेंगे, स्कूलों में ज्ञान व कौशल को साझा करेंगे और सहायता के रूप में जरूरत के हिसाब से उपकरण व आवश्यक सामग्री सीधे विद्यालय तक पहुंचाएंगे।
जनपद टिहरी गढ़वाल के जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा सुदर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि सभी विद्यालयों को अनिवार्य रूप से विद्यांजलि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों को विद्यांजलि पोर्टल से यूडीआइएसई प्लस (यूनिफाइड डिस्टि्रक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन) कोड के जरिए जोड़ा जा रहा है।
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