अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के निर्णय पर राजकीय शिक्षकों में उबाल, सभी जनपदों में शुरू हुआ जबरदस्त विरोध।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी, महामंत्री सोहन सिंह माजिला, उपाध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा सहित दोनों मंडलों एवं सभी जनपदों की कार्यकारिणी ने इस निर्णय का विरोध किया है। राजकीय शिक्षक संघ टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष श्याम सिर्फ सरियाल ने कहा है कि सरकार के इस निर्णय से शिक्षकों के कई हित प्रभावित होंगे। यदि सरकार अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त नहीं दिखाती तो प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति बाधित होगी। सेवा अवधि में न्यूनतम 3 पदोन्नति की मांग करने वाले शिक्षकों के साथ ऐसा निर्णय सरकार द्वारा जानबूझ कर लिया गया है ताकि पदोन्नति की प्रक्रिया में अड़ंगा लग सके। उन्होंने कहा कि यदि सरकार की शिक्षकों के पदों को भरने की मंशा होती तो सबसे निचले स्तर पर नियुक्तियां करते और प्रतिवर्ष शिक्षकों को पदोन्नति के अवसर देते। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय प्रवक्ता प्रकाश सिंह चौहान ने कहा है अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न माममे का फैसला अगर सरकार लेती है तो शिक्षक संघ उसका विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय वर्षों से विभाग में सेवा दे रहे शिक्षकों के हित के साथ अन्याय है। जानकारों का कहना है कि यदि सरकार अपना निर्णय वापस नही लेती तो राजकीय शिक्षकों की नाराजगी का आगामी विधानसभा चुनाव में भी व्यापक असर दिखना स्वाभाविक है।
समस्त शिक्षक साथी अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के निर्णय पर आपका संक्षिप्त वक्तव्य नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य कमेंट करें।- सुशील डोभाल, संपादक 'हिमवंत'
बहुत अनुचित निर्णय,,शिक्षक वर्षों से दुर्गम में हैं उनको स्थानांतरण का अवसर नहीं और अतिथि सुगम में।। वाह
ReplyDeleteइस निर्णय से सरकार को निष्चित ही पछताना पड़ेगा इसी प्रकार के निरभय कांग्रेस सरकार ने भी लिए थे
ReplyDeleteइस सरकार ने राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड को पूरी तरह दरकिनार किया है। क्या इनकी नैय्या 2022 में इन्हीं के सहारे पार लगने वाली है। या आभास हो गया है कि....... । देखते हैं क्या परिणाम आता है 2022 में।
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ReplyDeleteसरकार का यह फैसला अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है
ReplyDeleteजो शिक्षक पिछले 20-25 सालों से दुर्गम अति दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं सरकार का अबके साथ यह एक भद्दा मजाक है
दुर्गेश सती
Deleteगेस्ट का विरोध बार बार सही नही है बार- बार
ReplyDeleteयह एक मुद्दे को भटकाने वाली नीति है
ReplyDeleteकमजोर और जयचंद नेताओं के भरोसे ही यह सब हो रहा है
इसे कहते हैं आ बैल मुझे मार या अपने पैरों पर अपने आप कुल्हाड़ी मारना, अधिक अतिथि प्रेम रावत जी की सरकार लेकर डूबा था, और अब एक ओर की पटकथा भी शायद लिखी जा चुकी है। अगर वो अपना निर्णय कर चुके हैं तो हमें भी अपना निर्णय करना ही होगा
ReplyDeleteअपने चेहतों को पिछले दरवाजे से भेजने का यह तरीका सही नहीं है कांग्रेस की तरह चालाकी व अति आत्मविश्वास समय आने पर धोखा दे सकता है
ReplyDeletegest ka birodh karna thik nhi h m pichle 15 barso se durgam m hu jo huwa h sahi h
ReplyDeleteये सरासर सरकार की हठधर्मिता के कारण लिया गया तानाशाही फैसला है जिसका हर एक शक्षक घोर विरोध प्रकट करता है आखिर सरकार का अपना फैसला वापस लेना ही होगा अन्यथा आगामी चुनाव में गम्भीर परिणाम मिलेंगे
ReplyDeleteसरकार ने सही निर्णय लिया है और साथ ही PGT भर्ती में 50% LT को लेना गलत है
ReplyDeleteSarkar ka Gas teacher ke sath Dhokha hai 6 Sal se guest teacher kam vetan mein Durga Sthan ka Seva de rahe hain isliye guest teacher roco teacher banana chahie sirf mandey per galti se ruko samayojit karna uchit Nahin Hai Kyunki Unki qualification teacher ke barabar hain
ReplyDeleteसरासर गलत निणय -जिस व्यक्ति ने बीस बाइस साल दुर्गम में सेवा दी , अब पद्दोन्नति पर सुगम आ सकता था ,उसके सारे रास्ते बंद नकली ट्रांसफर एक्ट भी केवल केवल नियमित पर लागू होगा, गेस्ट चहेते अब सुगम में कुंडली मार बैठे है, जब तक पक्के नही होंगे पड़ भर रहेगा ,वे एक्ट में भी नही आएंगे, सालों साल दुर्गम में बैठा बीमार व्यक्ति निराशा में गुजर जाएगा, वाह।
ReplyDeleteक्या कहें जब नीति नियंता राष्ट्रनिर्माता को सिर्फ बैक डोर भर्ती का साधन समझ ले तो पतन तय है,भविष्य की पीढ़ी कैसे संवरेगी।
बहुत गलत निर्णय
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