इस वर्ष के दलाई लामा फैलोशिप के लिए उत्तराखंड की श्रुतिका सिलस्वाल सहित तीन भारतीय युवाओं का चयन हुआ है। दुनियाभर के 22 यंग सोशल इन्नोवेटर्स एक साल की इस फेलोशिप के लिए चुने जाते हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संकट, गरीबी, कुपोषण आदि समस्याओं को इस फेलोशिप की मदद से दूर करने का प्रयास करते हैं।
दलाई लामा फेलोशिप (डीएलएफ) के लिए दुनिया भर के कुछ चुनिंदा यंग सोशल इन्नोवेटर्स के साथ उत्तराखंड की श्रुतिका सिलस्वाल सहित तीन भारतीय युवाओं को भी इस वर्ष मौका मिला है। यह फेलोशिप दुनियाभर में उभरते हुए सामाजिक नवप्रवर्तकों को आत्म-जागरूकता, व्यक्तिगत स्थिरता, दूसरों के लिए वास्तविक करुणा, और कई स्तरों पर जटिल प्रणालियों को कुशलता से निपटने की क्षमता के रूप में नेतृत्व करने के लिए एक कार्यक्रम संचालित करता है। एक वर्ष के फैलोशिप की मेंटर्स और कोचों के सहयोग और मार्गदर्शन से प्रत्येक फेलो स्थानीय चुनौती पर आधारित एक प्रोजेक्ट पर काम करता है और सीखता है कि अपने स्वयं के परिवर्तन को उन समुदायों के परिवर्तन के साथ कैसे जोड़ा जाए जिनके साथ वे संलग्न हैं।
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श्रुतिका सिलस्वाल |
भारत से इस वर्ष की दलाई लामा फैलोशिप के लिए उत्तराखंड के जनपद टिहरी गढ़वाल के नरेंद्रनगर क्षेत्र के बेडधार गांव की मूल निवासी श्रुतिका सिलस्वाल सहित तीन युवाओं का चयन हुआ है। श्रुतिका की माता मीनाक्षी सिलस्वाल प्रतापनगर क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय पड़िया में शिक्षिका है, जबकि पिता विनोद सिलस्वाल ऋषिकेश के एक निजी स्कूल में अध्यापक है। श्रुतिका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी कॉम ऑनर्स करने के साथ ही 'टीच फॉर इंडिया' से दो साल की फेलोशिप किया है तथा वर्तमान समय में सिंपल एजुकेशन फाउंडेशन में प्रोग्राम हेड के रूप में उत्तराखंड में कार्यरत है। श्रुतिका के साथ दिल्ली की राधिका और बिहार की विवेक का भी इस वर्ष के दलाई लामा फैलोशिप के लिए चयन हुआ है।
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