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School Education: मिड डे मील की राशि के लिए स्कूल में मिले 50 फीसदी पंजीकरण फर्जी, प्रधानाध्यापिका हुई निलंबित

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सितारगंज में निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षाधिकारी (डीईओ) ने नगर क्षेत्र के प्रथम प्राथमिक विद्यालय में वित्तीय खामियां पकड़ीं। विद्यालय में मिड डे मील (एमडीएम) की धनराशि के लिए लगभग 50 फीसदी छात्र-छात्राओं का पंजीकरण फर्जी पाया गया। इस पर डीईओ ने प्रधानाध्यापिका पूनम मिश्रा को निलंबित कर दिया है। इस दौरान वह उप शिक्षाधिकारी कार्यालय में संबंद्ध रहेंगी।    मंगलवार को डीईओ हरेंद्र कुमार मिश्र ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय सितारगंज प्रथम का निरीक्षण किया। वहां पाया गया कि विद्यालय में पंजीकृत कुल 608 के सापेक्ष मात्र 145 बच्चे ही उपस्थित थे। सत्यापन करने पर पता चला कि 50 फीसदी से अधिक बच्चे ऐसे हैं जो कभी उपस्थित ही नहीं होते हैं। बच्चों को  जूते, ड्रेस और बैग के लिए दी जाने वाली राशि उनके खाते में डीबीटी के जरिये न भेजकर विद्यालय की ओर से खरीदकर दी गई है। साथ ही बच्चों की अपार आईडी भी नहीं बनवाई गई है।     एमडीएम पंजिका के परीक्षण में भी वित्तीय अनियमितता पाई गई। एमडीएम के एसएमएस पोर्टल पर 245 बच्चों को दिखाया गया जबकि कुल 145 बच्चे ही उपस्थित थे। इसके साथ ही प्रधाना...

School Education Uttarakhand: शिक्षकों के लिए तैयार हुआ नई ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट, शिक्षक इस ड्राफ्ट पर 6 सितंबर तक ईमेल से भेजें अपने सुझाव, यहां पढ़ें नई ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट

 
Department of School Education Uttarakhand

 उत्तराखंड में विद्यालय शिक्षा के अंतर्गत शिक्षकों के लिए नई स्थानांतरण नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद अब ड्राफ्ट के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। स्थानांतरण नीति का नया ड्राफ्ट विद्यालयी शिक्षा विभाग की वेबसाइट के साथ ही एजुकेशन पोर्टल, एससीईआरटी और सीमेंट की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है। अपर निदेशक सीमैंट उत्तराखंड दिनेश चंद्र गौड़ ने कहा है कि ट्रांसफर पॉलिसी के नए ड्राफ्ट पर 6 सितंबर 2022 तक ईमेल के माध्यम से सुझाव मांगे गए हैं।

उत्तराखंड, शिक्षकाओं के लिए नई स्थानांतरण नीति का ड्राफ्ट यहां पढ़ें।


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Comments

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  2. समिति में संघ के नेताओं को न रखा जाय

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  3. 🙏 ट्रांसफर नीति पहले भी बनी है और अब नई नीति भी बनने को तैयार है। इस कार्य में लगे सभी धन्यवाद के पात्र हैं कि वे इस ज्वलंत समस्या का स्थिर समाधान ढूंढना चाहते हैं। प्रश्न यह है कि इसका पालन धरातल पर कितना होता है हमने अनुभव से देखा है कि पुरानी ट्रांसफर नीति की किस प्रकार से धज्जियां उड़ाई गई किस प्रकार से इसी वर्ष चुनाव से पूर्व ट्रांसफर हुए जिसमें शिक्षकों को ट्रांसफर रेवड़ियों की तरह बांटे गए नियमों की धज्जियां उड़ाई गई यहां तक कि एक एक शिक्षक को 7-7 जगह स्थानांतरण हेतु ऑप्शंन दिए गए और एक ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक, बड़े लंबे समय तक दुर्गम में सेवा करने वाला एक शिक्षक शिक्षिका आंखें फाड़ कर देखते रह गए और रसूक वालों ने अपने रसूक का प्रयोग कर व पैसे वालों ने अपने पैसे का प्रयोग कर ट्रांसफर नीति को एक तरफ रख कर ट्रांसफर किए और करवाएं। समय-समय पर पिछले दरवाजे से भी स्थानांतरण होते रहे हैं इनसे एक इमानदार शिक्षक जो अपने लंबे समय से नीतियों का पालन करते हुए सेवाएं दे रहा है और स्थानांतरण की प्रतीक्षा कर रहा होता है की भावनाओं को बहुत ठेस पहुंची है।
    स्थानांतरण नीति केंद्रीय विद्यालय की तरह हो जहां पर दुर्गम क्षेत्रों के लिए और शुभम क्षेत्रों के लिए स्थान के आधार पर अलग-अलग अंक होते हैं साथ ही पति पत्नी के कर्मचारी होने पर भी उन्हें स्थानांतरण में अलग अंक दिए जाते हैं। वहां पर कठिन स्थानों हेतु अधिक अंक तथा शुभम स्थानों हेतु कम अंक दिए जाते हैं। स्थानांतरण हेतु प्रत्येक वर्ष सभी शिक्षक शिक्षिकाएं फार्म भरते हैं और और फिर उनके अंकों के आधार पर स्थानांतरण होते हैं।
    उत्तराखंड एक पर्वतीय प्रदेश है जहां पर अधिकतर भाग दुर्गम क्षेत्र में आता है इन्हें भी अलग-अलग श्रेणियों में उनके कठिनाइयों तथा सुविधाओं के आधार पर वांटा जाना चाहिए प्रत्येक शिक्षक दुर्गम क्षेत्र में नौकरी कर सकता है लेकिन वह तब ठगा हुआ महसूस करता है जब उसे निर्धारित समय के पश्चात वहां से स्थानांतरित नहीं किया जाता है। इसलिए दूसरा शिक्षक भी वहां जाना नहीं चाहता क्योंकि वह महसूस करता है कि कहीं वह भी वहां जाकर फंस न जाए। इसलिए ट्रांसफर नीति का सही पालन होना चाहिए ।
    इसके साथ यह भी आवश्यक है कि अति दुर्गम क्षेत्र में सेवा करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त भत्ता दिया जाना चाहिए ताकि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्र में लंबे समय तक सेवा देने हेतु उनको प्रोत्साहित किया जा सके।
    ऐसे कर्मचारी जिनके बच्चे देहरादून या अन्य शहरों में पढ़ते हैं उनको एच आर ए उसी शहर के अनुसार मिलना चाहिए और उनसे इसका संबंधित शिक्षण संस्थान से प्रमाण पत्र लिया जा सकता है।
    इन सब से ऊपर यह है जो अपने कर्तव्य को अधिक प्राथमिकता देता है वह अपने अधिकारों पर कम फोकस करता है। वह हमेशा श्रीमद्भागवत गीता के इस श्लोक को अपना आदर्श वाक्य मानकर अपने कर्तव्य पथ पर डटा रहता है कि-
    *कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन*।
    इसी ब्रह्मवाक्य के साथ सभी को सहृदय प्रणाम व शुभकामनाएं 💐💐💐🌷💐
    🙏🙏🙏 🇮🇳जय हिन्द 🇮🇳 🙏🙏🙏

    पी एल सेमवाल
    अ0उ0रा0इ0का0 नैटवाड़,
    उत्तरकाशी

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    1. बहुत ही सटीक और सार्थक विचार हैं सर।

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  4. अनिवार्य ट्रांसफर सूची मे नाम आने पर सभी के ट्रांसफर होने चाहिए , चाहिए वह दुर्गम मे हि क्यो नही है , दुर्गम से अनिवार्य ट्रांसफर होने पर , उनको नियम अनुसार छूट है क़ि वह सुगम मे जाये या नही, वह दुर्गम मे ही रह सकते है, तो अनिवार्य ट्रांसफर कहां से हुआ, जिसके कारण सुगम के सैकड़ो प्राथमिक स्कूल कई सालो से एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे है, ऐसे सुगम स्कूल तो छात्रो के लिए अभिशाप है,
    सुगम मे नई नियुक्ति होगी नही, प्रमोशन होगा नही, ट्रांसफर मे कोई आयेगा नही, तो एकल शिक्षक वाले सुगम स्कूल मे टीचर कहां से आयेगा ? कौन अभिभावक ऐसे एकल शिक्षक वाले स्कूल मे अपने बच्चो को भेजेगा, जबकि RTE act मे कम से कम, बेसिक मे दो टीचर होने चाहिए, मेरा स्कूल कई सालो से एक ही अध्यापक के भरोसे चल रहा है, अनिवार्य ट्रांसफर मे भी नही भेजा, पोलसी ऐसी हो जो छात्र हित मे हो, Thanks
    R.k., GPS Nakot, chamba , T.G.

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