शिक्षकों के लिए निदेशालय में प्रतिबंध लगाने के डीजी के आदेश पर शिक्षकों में उबाल, शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान की दहाड़, 'बंद कर दो निदेशालय, अधिकारियों की नहीं है जरूरत'

राज्य में प्रारम्भिक शिक्षक भर्ती के तहत वर्ष 2020-21 में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए थे। भर्ती के लिए उत्तराखंड के बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ ही एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया था। उनका कहना था कि एनआईओएस से डीएलएड को मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं एनसीटीई से मान्यता मिली है। तत्कालीन शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जारी आदेश में एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को इस भर्ती में शामिल करने की अनुमति दी गई थी। बाद में 10 फरवरी 2021 को शासन ने एक अन्य आदेश जारी किया, जिसमें 15 जनवरी 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। आदेश में कहा गया कि सरकार की ओर से एनआईओएस से डीएलएड को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने का निर्णय लिया गया है। शासन के इस आदेश के खिलाफ एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने पिछले महीने अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने के 10 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया। इस पर विभाग ने विधि विभाग से सुझाव मांगा था।
शिक्षा सचिव का कहना है कि शिक्षक भर्ती को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर विधि विभाग से सुझाव मांगा था, विधि विभाग ने इस फैसले पर अपील में जाएं या नहीं इसे स्पष्ट किए बिना हाईकोर्ट के आदेश को ज्यों का त्यों भेज दिया। अब इसे फिर से विधि विभाग को आवश्यक सुझाव के लिए भेजा जा रहा है। शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत ने कहा है कि शिक्षक भर्ती पर विधि विभाग की ओर से कहा गया है कि शिक्षा विभाग इस मामले में जो चाहे करे। 11 अक्तूबर को इस पर अधिकारियों की बैठक बुलाई है जो प्रदेश के युवाओं के हित में होगा वह किया जाएगा। उधर बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारो का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन विभाग और सरकार हमारे मामले में उदासीन है, सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं गई तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
सरकार nios d.el.ed. के प्रति तानाशाही रवैया अपना रही है। इनकी केंद्र सरकार और इन्होंने मिलकर कोर्स करवाया और अब खुद सरकार एनआईओएस d.el.ed. के खिलाफ कृत्य कर रही है। जो की अन्याय है🙏
ReplyDeleteNIOS द्वारा निजी शिक्षण संस्थाओं के शिक्षको को शैक्षणिक गुणवत्ता निर्धारित करने के उद्देश्य से DElEd कोर्स करवाया था न की सरकारी नौकरियों की गारंटी के लिए। निजी संस्थाओं के शिक्षको को प्रशिक्षित करने के पीछे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य प्राईवेट स्कूलों के बच्चों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलव्ध करवाना था। लेकिन इस व्यवस्था का अब दुरुपयोग किया जा रहा है।
ReplyDelete@RajeshNegi ji..सहमत
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