School Education, Uttarakhand: पढ़ाई के साथ ही अब शतप्रतिशत साक्षर और नशामुक्त बनाने के साथ ही उत्तराखंड को स्वच्छ और सुंदर बनाने में भी अपना योगदान देंगे स्कूली छात्र, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट ने गढ़वाल के सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्य को दिए यह निर्देश
मंडलीय अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट |
देवभूमि उत्तराखंड को साक्षरता और स्वच्छता के साथ ही टीवी जैसी घातक बीमारियों और नशा मुक्त बनाने में स्कूली बच्चे बेहतर योगदान दे सकते हैं। मंडलीय अपर शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने कहा है कि विद्यालय शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत की पहल को साकार रूप देने के लिए स्कूली छात्र छात्राओं का योगदान अहम साबित हो सकता है। गढ़वाल के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्य को जारी निर्देशों में उन्होंने कहा है कि स्कूली छात्रों में रचनात्मकता और सर्वांगीण विकास के लिए प्रत्येक विद्यालय सेवित बस्तियों के अध्ययनरत कक्षा-9 से कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं की सहायता से अवकाश दिनों में स्वच्छता, साक्षरता और स्वास्थ्य जैसी चुनौतियों पर सर्वेक्षण करा सकते हैं और सर्वेक्षण के आधार पर प्राप्त सूचनाओं का वर्गीकरण कर इन चुनौतियों का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा है कि कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चों को विभिन्न विषयों के तहत इस प्रक्रिया में शामिल करते हुए परियोजना कार्य के अंतर्गत आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। इससे जहां स्कूली बच्चे इन सामाजिक चुनौतियों को समझ सकेंगे वहीं उनके अंदर भविष्य के लिए अनुसंधान कार्यों की समझ भी पैदा हो सकेगी।
मुख्य शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्य को दिए यह सुझाव
- शतप्रतिशत साक्षरता के लिए हाई स्कूल स्तर पर सामाजिक विज्ञान और इंटरमीडिएट स्तर पर भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान आदि विषय के अंतर्गत स्कूली छात्रों को अपने क्षेत्रों में साक्षरता के आंकड़े संग्रह के लिए परियोजना कार्य सौंपा जाए।
- प्रत्येक जनपद में स्कूल और ब्लाकवार व ग्रामसभावार निरक्षरों की सूची तैयार करवाकर साक्षरता प्रकोष्ठ उत्तराखण्ड को उपलब्ध करायी जाय।
- कक्षा 11 वह 12 के विद्यार्थियों को जीव विज्ञान विषय में परियोजना कार्य के अंतर्गत अपने क्षेत्रों में टीवी जैसी घातक बीमारियों के प्रति स्थानीय निवासियों को जागरूक करने और टीवी और इस प्रकार की अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों की सूची तैयार करने का कार्य सौंपा जा सकता है।
- विद्यालयवार क्षयरोग अथवा श्वास रोग से पीडित व्यक्तियों की पहचान कर उनकी सूची मुख्य शिक्षा अधिकारी के द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी को आवश्यक कार्यवाही हेतु उपलब्ध करवायी जाय।
- जो छात्र-छात्रायें इस रोग से पीडित है उनके उपचार के लिये प्रधानाचार्य स्वयं क्षेत्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क स्थापित करें ताकि ऐसे बच्चे अतिशीघ्र स्वस्थ हो सके।
- एनएसएस, एनसीसी और स्काउट गाइड कार्यक्रमों से जुड़े छात्र छात्राओं को अपने क्षेत्रों में नशा उन्मूलन के लिए आम लोगों को जागरूक करने का दायित्व सौंपा जाए।
- एनएसएस के छात्र-छात्राओं को विभिन्न टीमों में बांटकर स्थानीय बस्तियों में सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत, भेदभाव, भ्रष्टाचार आदि को लेकर आम लोगों में जन जागरूकता का दायित्व सौंपा जाए।
- प्रार्थना सभा में बच्चों को सप्ताह में 1 दिन विभिन्न प्रकार के बुरे व्यसनों के बारे में जानकारी देकर उनसे होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराया जाय।
- संस्थाध्यक्ष यह सुनिश्चित कर लें कि विद्यालय संचालन अवधि में विद्यालय परिसर और विद्यालय के 100 मीटर के दायरे में कोई भी व्यक्ति बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटका, शराब आदि नशीले पदार्थों का प्रयोग न करें।
- यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि विद्यालय परिसर के निकटवर्ती दुकानकार ऐसी सामग्री विद्यालय परिसर के आस-पास बेचता हुआ पाया जाता है तो इसकी रिपोर्ट/ सूचना सक्षम स्तर को तत्काल दे दें।
- विद्यालयों में पेयजल की समुचित व्यवस्था के साथ ही गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाए। पानी की टंकियों की समय-समय पर सफाई करवाई जाए।
- प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित कर लें कि विद्यालय में प्लास्टिक से बनी वस्तुओं जैसे पॉलिथीन पानी की बोतल, प्लास्टिक के गिलास, प्लेट आदि का प्रयोग न किया जाए।
- विद्यालयों की के निरीक्षण के दौरान प्राया देखने को मिलता है कि प्रधानाचार्य द्वारा विद्यालयों की स्वच्छता को लेकर यह तर्क दिए जाते हैं कि विद्यालय में स्वच्छक की तैनाती नही है। विद्यालय स्तर पर स्वच्छता और साफ सफाई के लिए समस्त शिक्षकों, छात्र-छात्राओं और विद्यालय के कर्मचारियों को विद्यालय परिसर की साफ-सफाई में स्वंय अपना यथोचित योगदान देना चाहिए। इस कार्य के लिए सामुदायिक सहयोग भी लिया जा सकता है।
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