Uttarakhand education: अजब गजब: यहां 2 साल पहले सेवानिवृत्त हुए शिक्षक को विभाग ने पेंशन देने के बजाय थमाया 900000 रुपए की रिकवरी का नोटिस
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए एक जूनियर हाई स्कूल के शिक्षक को 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी पेंशन तो नहीं मिली लेकिन उन्हें विभाग ने ₹900000 की वसूली का नोटिस जरूर थमा दिया।
मामला उत्तरकाशी जिले के जूनियर हाईस्कूल रिखाऊ नौगांव से दो साल पूर्व सेवानिवृत्त हुए शिक्षक रामकृष्ण बिजलवान का है, जिन्हें विभाग पेंशन एवं अन्य देयकों का लाभ यह कहते हुए नहीं दे रहा कि वर्ष 2006 से उनका गलत वेतन निर्धारण हुआ है, जबकि इस बीच न सिर्फ शिक्षक को विभाग ने पदोन्नति दी, बल्कि उन्हें चयन वेतनमान का भी लाभ दिया। वहीं, अब विभाग ने शिक्षक को नौ लाख रुपये से अधिक की वसूली का नोटिस दिया है। समझने वाली बात है कि यदि संबंधित शिक्षक का फिक्सेशन गलत था तो गलत फिक्सेशन के लिए उत्तरदाई अधिकारी और कर्मचारियों पर समय रहते कार्यवाही क्यों नहीं हुई।
सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण बिजल्वाण के मुताबिक, दो साल पहले सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्हें यह कहकर पेंशन नहीं दी जा रही कि वर्ष 2006 से उनका गलत वेतन निर्धारण हुआ है, पर सेवा में रहते हुए विभाग की ओर से जानकारी नहीं दी गई। विभाग में प्राथमिक सहायक से जूनियर सहायक के पद पर उनकी पदोन्नति हुई।
सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण बिजलवान का कहना है कि उन्हें इस पद पर रहते हुए जून 2020 में चयन वेतनमान एवं भत्ते दिए गए। यदि गलत वेतन निर्धारण से वसूली बनती थी तो विभाग को पदोन्नति और चयन वेतनमान पर आपत्ति करनी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं किया। अब उप शिक्षा अधिकारी नौगांव की ओर से नौ लाख रुपये से अधिक की वसूली का नोटिस भेजा गया है।
उधर शिक्षा विभाग के वित्त नियंत्रक गुलफाम अहमद का कहना है कि वेतन निर्धारण के दौरान शिक्षकों से लिखवाया जाता है कि यदि गलत निर्धारण हुआ है तो रिकवरी होगी। वर्तमान दौर में सबको मालूम होता है कि उन्हें जो वेतन मिल रहा है वे सही है या गलत। विभाग में कई शिक्षकों के साथ ऐसा हुआ है, कुछ शिक्षक इसके खिलाफ कोर्ट गए हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण बिजल्वाण के मुताबिक, दो साल पहले सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्हें यह कहकर पेंशन नहीं दी जा रही कि वर्ष 2006 से उनका गलत वेतन निर्धारण हुआ है, पर सेवा में रहते हुए विभाग की ओर से जानकारी नहीं दी गई। विभाग में प्राथमिक सहायक से जूनियर सहायक के पद पर उनकी पदोन्नति हुई।
सेवानिवृत्त शिक्षक रामकृष्ण बिजलवान का कहना है कि उन्हें इस पद पर रहते हुए जून 2020 में चयन वेतनमान एवं भत्ते दिए गए। यदि गलत वेतन निर्धारण से वसूली बनती थी तो विभाग को पदोन्नति और चयन वेतनमान पर आपत्ति करनी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं किया। अब उप शिक्षा अधिकारी नौगांव की ओर से नौ लाख रुपये से अधिक की वसूली का नोटिस भेजा गया है।
उधर शिक्षा विभाग के वित्त नियंत्रक गुलफाम अहमद का कहना है कि वेतन निर्धारण के दौरान शिक्षकों से लिखवाया जाता है कि यदि गलत निर्धारण हुआ है तो रिकवरी होगी। वर्तमान दौर में सबको मालूम होता है कि उन्हें जो वेतन मिल रहा है वे सही है या गलत। विभाग में कई शिक्षकों के साथ ऐसा हुआ है, कुछ शिक्षक इसके खिलाफ कोर्ट गए हैं।
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