Himwant Educational News: उत्तराखंड की श्रुतिका सिलस्वाल सहित चार भारतीयों का राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कार 2023 के लिए चयन किया गया है। यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल देशों में सामाजिक उद्यम, पर्यावरण, नवाचार तथा मानवाधिकार के क्षेत्र में अच्छे काम के लिए प्रदान किया जाता है।राष्ट्रमंडल युवा पुरस्कारों के लिए सूची में इन चार भारतीयों सहित कुल 50 लोगों के नाम शामिल हैं। 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग वाले ये लोग सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में योगदान देने संबंधी पहलों में शामिल हैं।
टिहरी जिले की श्रुतिका के माता-पिता हैं शिक्षक
टिहरी गढ़वाल के नरेंद्रनगर के निकट बेडधार गांव की मूल निवासी श्रुतिका सिलस्वाल दलाई लामा फेलो है, और वर्तमान समय में उत्तराखंड में ‘सिंपल एजुकेशन फाउंडेशन’ में कार्यक्रम प्रमुख हैं. यह संगठन सरकारी स्कूलों के बच्चों की सहायता करता है। श्रुतिका की माता मीनाक्षी सिलस्वाल राजकीय इंटर कॉलेज नागनी टिहरी, गढ़वाल में विज्ञान शिक्षिका और पिता विनोद सिलस्वाल निजी संस्थान में कॉमर्स के शिक्षक हैं। कॉमनवेल्थ यूथ अवार्ड के लिए चयन होने पर श्रुतिका के परिजनों में खुशी का माहोल व्याप्त है।
इन कार्यों के लिए हुआ है चयन
श्रुतिका सिलस्वाल को एसडीजी 4 गुणवक्तापरक शिक्षा, अक्षय मकर को एसडीजी13 जलवायु परिवर्तन, सौम्या डाबरीवाल एसडीजी 5 लैंगिक समानता, कौशल शेट्टी एसडीजी 11 टिकाऊ शहर तथा समुदाय के लिए चयनित किया गया है। राष्ट्रमंडल महासचिव बैरोनेस पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा, 'प्रत्येक वर्ष, मैं उन नवाचारों तथा परिवर्तनकारी कार्यों से अभिभूत होती हूं जो ये लोग हमारे लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के वास्ते कर रहे हैं।
इसके साथ ही अक्षय मकर ‘क्लाइमेटेंज़ा सोलर’ कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में काम करती है और यह कंपनी कोका-कोला, टाटा ग्रुप तथा यूनिलीवर जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों के साथ काम कर रही है. अक्षय मकर का लक्ष्य अगले पांच वर्ष में 273 मेगावाट क्षमता का निर्माण करना है जिससे 6,50,000 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
सौम्या डाबरीवाल एक व्यवसायी हैं. उन्होंने वारविक विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है. घाना में स्वयंसेवा के दौरान उन्होंने देखा की लड़कियां प्रत्येक माह मासिक धर्म के दौरान तीन दिन स्कूल नहीं जातीं और इस दौरान वे ऐसी चीजों का इस्तेमाल करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। डाबरीवाल ने इसे देखते हुए बाला अभियान की शुरुआत की जिसके तहत बच्चियों को दोबारा इस्तेमाल लायक पैड मुहैया कराए जाते हैं और उन्हें जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
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ReplyDeleteHeartiest congratulation 💐💐👏👏🎉🎉
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