Harela Fastival 2023: जी रया, जागि रया, यो दिन, यो महैंण कैं नित-नित भ्यटनै रया....
हरेला पर्व हिंदू मान्यताओं का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक होना दर्शाता है, हरेला को उत्तराखण्ड सरकार राज्य स्तर पर पर्यावरण दिवस के रूप मे मानती है। हरेला के अवसर पर राज्य के सभी विद्यालयों के छात्र छात्राएं और शिक्षक पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देते हुए वृक्षारोपण करते हैं। इसके साथ ही अन्य सभी सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी वृक्षारोपण किया जाता है।
गत वर्षो की भांति इस वर्ष विभिन्न विद्यालयों की छात्र-छात्राओं और शिक्षकों द्वारा हरेला पर्व पर पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में वृक्षारोपण किया जाएगा। विद्यालय के शिक्षक और प्रधानाचार्य अपने विद्यालय में वृक्षारोपण से संबंधित अधिकतम दो फोटोग्राफ शिक्षकों और शिक्षार्थियों के लिए समर्पित भी पत्रिका हेमंत में प्रकाशन हेतु भेज सकते हैं। उपयुक्त फोटोग्राफ को उपलब्ध स्थान के आधार पर हेमंत में स्थान दिया जाएगा। फोटोग्राफ के साथ विद्यालय विकासखंड और जनपद का नाम और अपना नाम अवश्य भेजें।
हरेला पर्व पर गाये जाने वाला लोकप्रिय गीत:
जी रया, जागि रया,
यो दिन, यो महैंण कैं नित-नित भ्यटनै रया ।
दुब जस पगुर जया,
धरती जस चाकव, आकाश जस उच्च है जया ।
स्यूं जस तराण ऐ जौ, स्याव जसि बुद्धि है जौ ।
हिमालय में ह्यू छन तक,
गंगा में पाणी छन तक,
जी रया, जागि रया ।
भावार्थ: तुम जीते रहो और जागरूक बने रहो, हरेले का यह दिन-बार आता रहे, आपका परिवार दूब की तरह पनपता रहे, धरती जैसा विस्तार मिले, आकाश की तरह उच्चता प्राप्त हो, सिंह जैसी ताकत और सियार जैसी बुद्धि मिले, हिमालय में हिम रहने और गंगा में पानी बहने तक इस संसार में तुम बने रहो। आप सभी को सुख और समृद्धि के प्रतीक हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
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