Economics: कक्षा 11, अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए- आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास का अर्थ
आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास का अर्थ
Economics notes: सामान्यतः आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास को समान अर्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बारीकी से अध्ययन करने के बाद पता चलता है कि इन दोनों में बहुत अंतर है. आर्थिक संवृद्धि में सामान्य रूप से किसी देश की प्रति व्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि को गिना जाता है जबकि आर्थिक विकास में देश में कुपोषण बीमारी, निरक्षरता और बेरोजगारी की दशा को देखा जाता है।
सत्तर के दशक के पूर्व आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास को समान अर्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता था परन्तु इसके बाद के अर्थशास्त्रियों ने इसमें भेद करना शुरू कर दिया और अब इन दोनों शब्दों को अलग अलग अर्थों में प्रयोग किया जाता है।
आर्थिक संवृद्धि की परिभाषा: आर्थिक संवृद्धि से मतलब किसी समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय में वृद्धि से है. सामान्य रूप से यदि किसी देश की सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो कहा जाता है कि उस देश में आर्थिक संवृद्धि हो रही है।
आर्थिक विकास की परिभाषा: आर्थिक विकास की परिभाषा आर्थिक संवृद्धि से व्यापक होती है. आर्थिक विकास किसी देश के सामाजिक सांस्कृतिक, आर्थिक, गुणात्मक एवं मात्रात्मक सभी परिवर्तनों से सम्बंधित है. इसका प्रमुख लक्ष्य कुपोषण बीमारी, निरक्षरता और बेरोजगारी को खत्म करना होता है।
ऊपर दिए गए अंतरों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास और आर्थिक संवृद्धि दोनों में काफी अंतर होने के बावजूद दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरा अधूरा है. विकासशील देशों का ज्यादा ध्यान अपने देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर होता है वहीँ दूसरी ओर विकसित देश आर्थिक संवृद्धि पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
उदारीकरण किसे कहते हैं
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