Class 12th Economics Short Answer Type Question 2024 By Sushil Dobhal sir. अर्थशास्त्र लघु उत्तरीय प्रश्न
सुशील डोभाल, प्रवक्ता अर्थशास्त्र, विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड |
Part 1
1. समष्टि अर्थशास्त्र किस विषय का
अध्ययन करता है ? (What is the subject
matter of macroeconomics ?)
उत्तर⇒ समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक अध्ययन का महत्वपूर्ण पक्ष है। इसके
अंतर्गत ऐसे विशाल समूहों का अध्ययन किया जाता है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को
प्रदर्शित करते हैं जैसे-कुल रोजगार, कुल आय, कुल उत्पादन,
कुल विनियोग, कुल बचत, कुल उपभोग, कुल पूर्ति, कुल मांग, सामान्य कीमत स्तर इत्यादि का समष्टि अर्थशास्त्र विषय है।
2. व्यष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा
दीजिए। (Define Micro economics.)
उत्तर⇒ व्यष्टि अर्थशास्त्र को ‘सूक्ष्म अर्थशास्त्र’ भी कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत अर्थव्यवस्था की
एक इकाई के रूप में अर्थव्यवस्था के छोटे-छोटे पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
जैसे—एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक फर्म अथवा एक उद्योग, एक बाजार आदि। व्यष्टि
अर्थशास्त्र का अध्ययन आंशिक संतुलन से अधिक प्रभावित है जो आर्थिक क्रिया से
संबंधित कारकों से प्रभावित होता है। इसके अंतर्गत अनुकूलतम साधन आवंटन और आर्थिक
क्रियाओं जैसेमांग और पूर्ति का अध्ययन, मूल्य निर्धारण से संबंधित
समस्याओं और नीतियों का अध्ययन होता है।
3. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का
क्या महत्त्व है ? (What is significance of
studying micro economics ?)
उत्तर⇒ इसका अध्ययन का महत्त्व को इस प्रकार देखा जा सकता है –
(i). व्यक्तिगत इकाइयाँ मिलकर ही संपूर्ण अर्थव्यवस्था बनाती है। अतः
संपूर्ण अर्थव्यवस्था के आर्थिक विश्लेषण के लिए व्यक्तिगत इकाइयों का ज्ञान
आवश्यक है।
(ii). आर्थिक विश्लेषण में कीमत निर्धारण एवं वितरण की समस्याएं
महत्त्वपूर्ण होती है। इन समस्याओं का निदान व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण से किया जाता
है। माँग और पूर्ति के दो बलों के आधार पर कीमत का निर्धारण किया जाता है जो
व्यष्टि अर्थशास्त्र से संबंधित है।
(iii). व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत एवं विशिष्ट इकाइयों का
विश्लेषण ही सरकार को आर्थिक नीतियाँ बनाने का आधार प्रदान करता है।
4. अनाधिमान वक्र परिभाषित करें। (Define indifference curve.)
उत्तर⇒अनाधिमान वक्र (Indifference curve)—उदासीनता वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से
संबंधित उपभोक्ता के व्यवहार की व्याख्या करता है। उपभोक्ता का व्यवहार उसकी
उदासीनता अनुसूची द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उपभोक्ता को समान संतुष्टि देने
वाले दो वस्तुओं के विभिन्न संयोग उदासीनता अनुसूची अथवा तटस्थता समूह बनाते हैं।
इसी उदासीनता अनुसूची को ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करके अनाधिमान वक्र प्राप्त
किया जाता है।
5. अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं
से क्या समझते हैं ? (What do you mean by
central problem in an economy ? )
उत्तर⇒अर्थव्यवस्था से मतलब उस आर्थिक
प्रणाली से है जिसके द्वारा समाज की समस्त आर्थिक क्रियाओं का संचालन होता है।
प्रत्येक देश किसी न किसी आर्थिक प्रणाली पर आधारित होता है। आर्थिक प्रणाली के
मुख्य रूप है — पूँजीवादी, समाजवाद एवं मिश्रित अर्थव्यवस्था। आर्थिक प्रणाली की भिन्नता के
अनुसार अर्थव्यवस्था का संचालन अलग-अलग होता है किन्तु साधनों की सीमितता एवं उनके
वैकल्पिक प्रयोगों तथा आवश्यकताओं की अनन्तता के कारण ही साधनों एवं साध्यों के
बीच तालमेल बैठाने की समस्याएँ प्रत्येक आर्थिक प्रणाली में रहती है जिसे
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ कहा जाता है।
6. समाजवादी अर्थव्यवस्था में केंद्रीय
समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in sociolist economy ?)
उत्तर⇒समाजवादी अर्थव्यवस्था में
उत्पादन के साधनों पर समाज का नियंत्रण होता है तथा आर्थिक क्रियाओं का संचालन
समाज के हित के लिए किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का
समाधान सामाजिक प्राथमिकताओं के आधार पर आर्थिक नियोजन या योजना यंत्र द्वारा किया
जाता है।
7. मिश्रित अर्थव्यवस्था में केंद्रीय
समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in mixed economy ?)
उत्तर⇒मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी
क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह-अस्तित्व होता है और दोनों ही क्षेत्र
किसी सामान्य आर्थिक योजना के अधीन कार्य करता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत
यंत्र और नियोजन-तंत्र दोनों मिलकर केंद्रीय समस्याओं का समाधान करते हैं।
8. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में
केंद्रीय समस्याओं का समाधान कैसे होता है ? (How does solution of central problems in a cpaitalist economy ?)
उत्तर⇒ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर निजी नियंत्रण
होता है तथा यह अर्थव्यवस्था उत्पादन और उपभोग के क्षेत्र में स्वतंत्र होती है।
इस अर्थव्यवस्था में आर्थिक समस्याओं का समाधान कीमत यंत्र द्वारा किया जाता है
जिसमें माँग एवं पूर्ति के दो स्वतंत्र बल क्रियाशील होकर कीमत निर्धारण करते हैं।
9. आर्थिक समस्या क्या है? (What is an economic problem ?)
उत्तर⇒आवश्यकताएँ असीमित और साधन
सीमित होते हैं। सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण इन साधनों एवं
असीमित आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है और इसी प्रयास
से चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार आर्थिक समस्या मूलत: चुनाव की
समस्या है।
आर्थिक समस्या की परिभाषा एरिक
रोल ने इस प्रकार से दी है। “आर्थिक समस्या मूलतः चयन की
आवश्यकता से उत्पन्न होने वाली समस्या है। यह वह चयन है जिसमें वैकल्पिक प्रयोगों
वाले सीमित संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के मितव्ययी उपयोग की
समस्या है।
10. मौद्रिक लागत क्या है? (What is Money Cost ?)
उत्तर⇒कसी फर्म द्वारा एक वस्तु के
उत्पादन में किये गये कुल मुद्रा व्यय को मुद्रा लागत कहते हैं। अर्थात् उत्पत्ति
के समस्त साधनों के मूल्य को यदि मुद्रा में व्यक्त कर दिया जाये तो उत्पादक इन
उत्पत्ति के साधनों की सेवाओं को प्राप्त करने में जितना कुल व्यय करता है वह
मौद्रिक लागत कहलाती है।
11. वास्तविक लागत क्या है? (What is Real cost ?)
उत्तर⇒“किसी वस्तु के उत्पादन में विभिन्न प्रकार के श्रमिकों को जो
प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रयत्न करने पड़ते हैं अथवा साथ ही वस्तु के उत्पादन
में प्रयोग की जाने वाली पूँजी को संचित करने में संयम अथवा प्रतीक्षा करनी पड़ती
है में सब प्रत्यक्ष अथवा त्याग मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत कहलाती है।
12. अवसर लागत क्या है ? (What is opportunity cost ?)
उत्तर⇒ आस्ट्रियन अर्थशास्त्री ने वास्तविक लागत के विचार में संशोधन किया
और इन्होंने वास्तविक लागत के स्थान पर अवसर लागत का प्रयोग किया। अर्थशास्त्र का
मौलिक सिद्धांत है कि आर्थिक साधन आवश्यकताओं की तुलना में सीमित होते हैं। अतः
किसी वस्तु के उत्पादन का अर्थ है—दूसरी वस्तु या वस्तुओं के
उत्पादन से वंचित होना।
इस प्रकार, किसी साधन की अवसर लागत का अभिप्राय उस साधन के दूसरे सर्वश्रेष्ठ
वैकल्पिक प्रयोग से मिलने वाले मूल्य से है।
(“Opportunity cost of
a factor refers to its value available in its next best alternative use.”)
13. निम्नलिखित को परिभाषित करें। (Define following.)
उत्तर⇒ (A) स्पष्ट लागत (Explicit cost)— ऐसे सभी व्यय,
जिनका भुगतान उत्पादक द्वारा
उत्पादन क्रिया के दौरान दूसरों को करना होता है स्पष्ट लागत कहलाते हैं।
(B) स्थिर लागत (Fixed cost)— स्थिर लागतें
उस कुल खर्च का योग है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने
या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है।
(Fixed cost are the
sum total of expenditure incurred by the producer on the purchase of fixed
factors of production.)
(C) परिवर्तनशील लागत (Variable costs)— परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादक का उत्पादन के घटते-बढ़ते
साधनों के प्रयोग के लिए खर्च करनी पड़ती है।
(Variable costs are
the expenditure incured by the producer on the use of variable factors
production:)
कुल लागत = स्थिर लागत +
परिवर्तनशील लागत
(D) कुल लागत (Total cost) – किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के लिए उत्पादक
को जितने कल व्यय करने पड़ते हैं. इनके जोड़ को कुल लागत कहते हैं। (Total cost of production is the sum of all
expenditure incurred by the production in producing a given quantity of a
commodity.)
(E) औसत लागत (Average cost)—किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहा जाता
है। औसत लागत कुल लागत एवं उत्पादन मात्रा का भागफल होता है।
(F) औसत स्थिर लागत (Average Fixed cost-AFC) — यदि उत्पादन की कुल स्थिर लागत को हम उत्पादन की मात्रा से भाग
देते हैं तो हमें औसत स्थिर लागत प्राप्त हो जाती है।
14. औसत लागत एवं सीमांत लागत में क्या
संबंध है ? (What is relationship
between Average cost and Marginal cost ?)
उत्तर⇒औसत लागत तथा सीमांत लागत के
बीच संबंध दर्शाने वाले मुख्य बिंदु है –
(i). दोनों की गणना उत्पादन की कुल लागत द्वारा की जाती है।
(ii). अर्थात् MC < AC
(iii). MC = AC
(iv). MC > AC
15. निम्नलिखित को परिभाषित करें। (Define following.)
उत्तर⇒ (A) कुल आय (Total
Revenue)—किसी फर्म का कुल आय वस्तु की
एक ही कीमत तथा कुल विक्रय की गयी इकाइयों के गुणनफल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
कुल आय = कुल बिक्री से प्राप्त
राशि = बिक्री इकाइयाँ x प्रति इकाई मूल्य
(B) सीमांत आय (Marginal Revenue)-उत्पादक या फर्म को वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई की
बिक्री से जो अतिरिक्त आय प्राप्त होता है, उसे सीमांत आय कहते हैं। इस
प्रकार सीमांत आय से मतलब किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के परिवर्तन से कुल आय
में होने वाला परिवर्तन से है।
(C) औसत आय (Average Revenue) – औसत आय से मतलब उत्पादन की प्रति इकाई बिक्री से
प्राप्त होने वाला आय। इस प्रकार कुल आय को बिक्री की गई इकाइयों की संख्या से भाग
देने पर औसत आय प्राप्त होता है।
औसत आय सदा वस्तु के प्रति इकाई
कीमत को व्यक्त करता है।
Part 2
16. सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता से
आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by
Marginal Utility and Total Utility ?)
उत्तर⇒किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई
के प्रयोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता मिलता है, उसे सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
सीमांत उपयोगिता (n वीं इकाई) = कुल उपयोगिता n – कुल उपयोगिता n-1
MUnth = TUn – TUn-1
कुल उपयोगिता (Total Utility) — उपभोग के सभी इकाइयों के उपभोग से उपभोक्ता को जो
उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे कुल उपयोगिता कहते हैं। कुल
उपयोगिता उपभोग की विभिन्न इकाइयाँ से प्राप्त सीमांत उपियोगता के योग होता है। (Total Utility is the addition of Marginal
Utilities attained from various units of consumptions.)
TU = ΣMU
कुल उपयोगिता योग होती है
सीमांत उपयोगिता का।
17. पूरक वस्तु और स्थानापन्न वस्तु में
अंतर स्पष्ट करें।(Distinguish between
Complementary goods and substitute goods.)
उत्तर⇒पूरक वस्तुएँ वे हैं जो किसी
निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग की जाती है। जैसे—स्कूटर-पेट्रोल। पूरक वस्तुओं की कीमत और खरीदी जाने वाली मात्रा
में विपरीत संबंध होता है। स्कूटर की कीमत में तीव्र वृद्धि होने से स्कूटर की
पूरक वस्तु पेट्रोल की मांग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जबकि पेट्रोल की कीमत में
कोई परिवर्तन नहीं होता है।।
स्थानापन्न वस्तु वे वस्तुएँ
हैं जो एक दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे—चाय, काफी आदि। ऐसी वस्तुओं में जब एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है
तब अन्य बातें समान रहने पर स्थानापन्न वस्तु की माँग में भी वृद्धि हो जाएगी।
18. उत्पादन फलन क्या है? (What is Production Function ?)
उत्तर⇒उपादानों (inputs) एवं उत्पादनों के फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।
उत्पादन फलन हमें यह बताता है कि समय की एक निश्चित अवधि में उपादानों के परिवर्तन
से उत्पादन आकार में किस प्रकार और कितनी मात्रा परिवर्तन होता है। उत्पादन केवल
भौतिक मात्रात्मक संबंध पर आधारित है। इसमें मूल्यों का समावेश नहीं होता।
उत्पादन फलन Qx=f (A,B,C,D)
19. उत्पादन संभावना वक्र को परिभाषित
करें। (Define production
possibility curve?)
उत्तर⇒ उत्पादन संभावना वक्र इस विश्लेषण पर आधारित है कि अर्थव्यवस्था के
उत्पादन के साधन सीमित है किन्तु उत्पादित की जाने वाली वस्तुएँ असीमित हैं।
अर्थव्यवस्था को साध नों के वैकल्पिक उपयोगों के बीच चुनाव करना पड़ता है। इस
प्रकार वस्तुओं के उत्पादन के अनेक विकल्प अर्थव्यवस्था के सामने आते हैं जिन्हें
अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावना कहते हैं। इन उत्पादन संभावनाओं को रेखा चित्र
द्वारा प्रदर्शित किया जाए तो उनके द्वारा बनने वाली रेखा को उत्पादन संभावना वक्र
कहते हैं।
20. उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं
को बताये- (Point out Assumtion of
Production possibility curve ?)
उत्तर⇒उत्पादन संभावना वक्र निम्न
मान्यताओं पर आधारित है-
(i). उत्पादन के साधनों की स्थिर मात्रा (Fixed quantity of factors of production)
(ii). उपलब्ध साधनों का पूर्ण एवं कुशल उपयोग (Fuller and Efficient utilisation of the
available resources)
(iii). स्थिर तकनीक (Constant
Technology)
(iv). दो वस्तुएँ (Two
goods).
21. उपभोक्ता संतुलन क्या है? (What is consumer’s equilibrium ?)
उत्तर⇒असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित
साधनों के होने पर एक उपभोक्ता का उद्देश्य अपने व्यय से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त
करना है और जब वह अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर लेता है तो वह उपभोक्ता संतुलन की
अवस्था में होता है, एक उपभोक्ता उस समय संतुलन की
अवस्था में होता है जब वह अपने वर्तमान परिस्थितियों को अच्छा समझते हैं। इस
प्रकार जब कोई उपभोक्ता अपने व्यय करने के वर्तमान ढंग में कोई परिवर्तन नहीं करना
चाहता, तब वह संतुलन की अवस्था में कहा
जाता है।
22. मूल्य घटने पर बजट रेखा किस ओर
बढ़ेगी? चित्र द्वारा दर्शायें। (In which direction budget line will move with a
fall in price ? Depict with a diagram.)
उत्तर⇒मूल्य घटने पर बजट रेखा
अपरिवर्तित रहेगी क्योंकि उपभोक्ता का वास्तविक क्रय उसकी आय तथा उपभोग की वस्तुओं
पर निर्भर करता है। इस प्रकार आय तथा उपभोग वस्तुओं की मूल्य उपभोक्ता के लिए
उपभोग सीमा निर्धारित करती है।
चित्र से स्पस्ट है –
चित्र यह बताती है कि उपभोक्ता
अपनी सीमांत आय से PQRST अथवा S वस्तु खरीद सकता है। अगर उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु पर खर्च
करता है तो 10 इकाई खरीद सकता है। उपभोक्ता
अपनी सीमा रेखा या बजट रेखा के बाहर किसी वस्तु का उपभोग नहीं कर सकता है।
इस प्रकार मूल्य घटने पर भी बजट
रेखा अपरिवर्तित रहेगी।
23. उपभोक्ता माँग वक्र कब शिफ्ट करता
है ? (When does the
consumer’s demand curve shifts?)
उत्तर⇒उपभोक्ता मांग वक्र जब शिफ्ट
करता है जब मांग वक्र कीमत एवं मांगी गयी मात्रा के बीच एक विपरीत सम्बन्ध बताता
है। इस विपरीत संबंध के कारण उपभोक्ता की मांग वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है
तो यह प्रदर्शित करता है कि ऊंची कीमत पर मांगी गई मात्रा कम होगी एवं कम कीमत पर
मांगी गयी मात्रा अधिक होगी।
24. माँग वक्र नीचे क्यों गिरता है ? (Why does demand curve slope downwards ?)
उत्तर⇒मांग वक्र को जब रेखाचित्र
द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे माँग वक्र कहा जाता है। यह माँग वक्र की
कीमत एवं मांगी जाने वाली मात्रा के बीच एक विपरीत संबंध को बताता है।
इस विपरीत संबंध के कारण ही
माँग वक्र बायें से दायें नीचे की ओर गिरता है जो यह प्रदर्शित करता है कि ऊँची
कीमत पर माँगी गई मात्रा कम होगी एवं कम कीमत पर मांगी गयी मात्रा अधिक होगी।
25. माँग की कीमत लोच की परिभाषा दें। (Define price Elasticity of Demand.)
उत्तर⇒माँग की कीमत लोच किसी वस्तु की
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की माँग में होने वाले प्रतिशत
परिवर्तन का अनुपात है।
“Price elasticity of
demand may be defined as the percentage change in the quantity demanded of a
commodity divided by the percentage change in price of that commodity.”
26. माँग की लोच मापने का कुल व्यय रीति
क्या है ? (What is the total
expenditure method at measuring elasticity of demand ?)
उत्तर⇒इस रीति का प्रतिपादन मार्शल ने
किया। इस रीति में यह ज्ञात किया जाता है कि वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से
कुल व्यय में कितना और किस दिशा में परिवर्तन हुआ है।
कुल व्यय = वस्तु की कीमत x वस्तु की माँग
27. माँग की लोच मापने का ज्यामितीय या
बिन्दु रीति क्या है ?
(What is Geometric or point method of measuring elasticity of demand:)
उत्तर⇒इस रीति में माँग वक्र के किसी
बिन्द पर माँग की लोच ज्ञात करने के लिए उस बिन्दु पर एक स्पर्श रेखा खींची जाती
है।
28. श्रेष्ठ वस्तु (सामान्य) और घटिया
(निम्न) वस्तु में अंतर करें। (Differentiate between superior or normal goods and inferior goods.)
उत्तर⇒श्रेष्ठ वस्तु या सामान्य
वस्तुएं ऐसी वस्तुएं है जिनका आय प्रभाव धनात्मक तथा कीमत प्रभाव ऋणात्मक होता है।
अर्थात् माँग वक्र बायें से दायें ऊपर बढ़ता हुआ होता है। धनात्मक ढाल वाला आय
माँग वक्र यह बताता है कि उपभोक्ता की आय में प्रत्येक वृद्धि उसकी माँग में भी
वृद्धि करती है तथा इसके विपरीत आय की प्रत्येक कमी सामान्य दशाओं में माँग में भी
कभी उत्पन्न करती है।
घटिया वस्तुएं वे वस्तुएं होती
है जिन्हें उपभोक्ता हीन दृष्टि से देखता है और आय स्तर के पर्याप्त न होने पर
उपभोग करता है जैसे—मोटा अनाज, वनस्पति घी, मोटा कपड़ा आदि। इनका आय माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है
अर्थात् बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है।
29. माँग क्या है ? इसके निर्धारक तत्त्व को बताएँ। (What is demand. Point out its determinants of
demand.)
उत्तर⇒अन्य बातें समान रहने पर एक
निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता किसी वस्तु की जितनी मात्रा खरीदने को इच्छुक तथा
योग्य होता है, उसे मांगी गई मात्रा कहा जाता
है।
माँग को निर्धारक तत्त्व –
(i). वस्तु की उपयोगिता (Utility of the goods)
(ii). आय स्तर (Income level)
(iii). धन का वितरण (Distribution
of wealth)
(iv). वस्तु की कीमत (Price
of the goods)
(v). संबंधित वस्तुओं की कीमतें (Price of related goods)
(vi). स्थानापन्न वस्तुएं (Substitute goods)
(vii). भविष्य में कीमत परिवर्तन की आशंका(Expected future change in price)
30. बाजार माँग क्या है? (What is Market Demand ?)
उत्तर⇒बाजार माँग फलन से ज्ञात होता
है कि किसी वस्तु की बाजार माँग अथवा वस्तु की कुल माँग निर्धारक तत्त्वों से किस
प्रकार संबंधित है।
बाजार माँग फलन में व्यक्तिगत
माँग फलन के तत्त्वों के अतिरिक्त निम्न को शामिल किया जाता है – (i). जनसंख्या का आकार (ii). आय का वितरण।
Part 3
31. माँग के नियम की व्याख्या करें। (Explain law of Demand.)
उत्तर⇒अन्य बातें समान रहने पर वस्तु
की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत संबंध पाया जाता है। माँग का नियम बताता
है कि अन्य बातें समान रहने पर कीमत में कमी के परिणामस्वरूप वस्तु की मांगी जाने
वाली मात्रा में वृद्धि होती है तथा कीमत में वृद्धि होने पर मांगी जाने वाली
मात्रा में कमी होती है।”
The law of demand
states that other thing equal, the amount demanded increases with a fall in
price and diminishes with a rise in price.
32. कुल उत्पादन और औसत उत्पादन क्या है
? (What is total
production and Average product ?)
उत्तर⇒कुल उत्पाद (Total product)— किसी एक निश्चित समयावधि में उत्पति के साध नों का
प्रयोग करके उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा को कुल उत्पाद कहा
जाता है। (Total product is the
total amount of goods and services produced in a given period by using various
factors of production.)
औसत उत्पाद (Average product) — परिवर्तनशील साधन के प्रति इकाई उत्पाद को औसत उत्पाद कहते हैं। (Average product is per unit production of the
variable factor.)
33. अल्पकालीन औसत लागत ‘U’ आकार का क्यों है ? (Why shori Run Average cost curve is ‘U’shaped ?)
उत्तर⇒ अल्पकाल में परिवर्तनशील अनुपात का नियम लागू होता है। आरंभ में
बढ़ते प्रतिफल के कारण लागत घटती है, फिर स्थिर प्रतिफल की दशा में
लागत स्थिर रहती है तथा क्रम में घटते प्रतिफल मिलने पर लागत बढ़ती है। इसी कारण
उत्पादन, आकार बढ़ने पर पहले लागत घटती
है फिर न्यूनतम होकर स्थिर होती है और अन्त में बढ़ती है। इस क्रम के कारण
अल्पकालीन औसत लागत वक्र U आकृति का होता है।
34. सीमांत उत्पाद क्या है? (What is marginal product?)
उत्तर⇒किसी परिवर्तनशील साधनों की एक
अतिरिक्त इकाई का या एक कम इकाई का प्रयोग करने से कुल उत्पाद में जो अंतर आता है
उसे सीमांत उत्पाद कहते हैं।
35. “पूर्ण प्रतिस्पर्धा में सभी फर्मों
द्वारा समरूप वस्तु का उत्पादन होता है’ स्पष्ट करें। (In perfect competition homogeneous good is
produced by all the firms. Clarify.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता में सभी
फर्मों द्वारा समरूप वस्तु कम उत्पादनं होता है क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता बाजार
की वह स्थिति होती है जिसमें एक समान वस्तु के बहुत अधिक क्रेता तथा
विक्रेता होते हैं। इसके
अन्तर्गत सभी फर्म एक ही तरह की समरूप वस्तु का उत्पादन करते हैं। क्रेता तथा
विक्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि पूर्ण
प्रतियोगिता ङ्केम बाजार में वास्तु की एक ही कीमत प्रचलित रहती है जिसके कारण
समरूप वस्तु का उत्पादन करना पड़ता है।
36. किसी कारक का सीमांत उत्पाद मल्य
क्या है ?(What is marginal revenue
product of a factor?)
उत्तर⇒सीमांत उत्पाद मूल्य–किसी परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई का या एक कम इकाई का
प्रयोग करने से कुल उत्पाद में जो अन्तर आता है उसे उस इकाई का सीमांत उत्पाद
मूल्य कहा जाता है।
MP = TPn – TPn-1
37. सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित करें।
(Define gross domestic
product.)
उत्तर⇒ सकल घरेलू उत्पाद—एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा
जितनी भी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनकी बाजार कीमत के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा
जाता है।
38. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद
क्या है ? (What Gross Domestic
Product at market price ?)
उत्तर⇒ एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादक द्वारा
जितनी भी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उनकी बाजार कीमत के जोड़ को
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पादन कहा जाता है।
(Gross Domestic
Product (GDP) is the market value of the final goods and services produced
during a year within the domestic territory of a country.)
39. बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP)
क्या है ? (What is Net Domestic Product at market price ?)
उत्तर⇒बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू
उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक
लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के बराबर है।
इसमें से घिसावट मूल्य घटा दिया जाता है।
“Net Domestic Product at market price is the market value of final goods and
services produced within the domestic teritory of a country during a year
exclusive depreciation.”
40. बाजार की परिभाषा दीजिए। (Define market.)
उत्तर⇒बाजार का आशय किसी स्थान से
नहीं वरन उस समस्त क्षेत्र से होता है। जहाँ किसी वस्तु के क्रेता और विक्रेता
फैले होते हैं। अर्थशास्त्र में बाजार ऐसे क्रेताओं एवं विक्रेताओं से संबंधित है
जिनकी क्रियाएँ वस्तु की उस कीमत को प्रभावित करती है जिस पर वस्तु बेची जाती है।
41. बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय
उत्पाद (NNPMP) और साधन लागत पर
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) में क्या अंतर है
? (What is difference
between NNPMP and NNPFC ?)
उत्तर⇒ बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
– एक वर्ष की अवधि में उत्पादित
अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय – घिसावट या पूँजी उपभोग।
NNPMP = GNPMP – Depreciation
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय
उत्पाद (NNPFC) — किसी एक लेखा वर्ष में किसी देश
की सीमा में अर्जित कुल साधन आय (लगान + मजदूरी + ब्याज तथा लाभ) तथा विदेशों से
शुद्ध साधन आय का जोड़ साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय
कहलाता है।
NNPFC = NDPFC + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
42. आय का चक्रीय प्रवाह क्या है ? (What is Circular Flow of Income ?)
उत्तर⇒आय का चक्रीय प्रवाह से मतलब
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय के प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं
के चक्रीय रूप में प्रवाह से है।
“It refers to flow of
money income or the flow of goods and services across different sectors of the
economy in a circular form.”
इस प्रवाह की आय का चक्रीय
प्रवाह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस प्रवाह का न कोई आरंभ होता है और न कोई अन्त
होता है। यह निरन्तर एक चक्र के रूप में प्रवाहित होता रहता है।
43. वैयक्तिक प्रयोज्य आय क्या है ? (What is personal disposable income ?) .
उत्तर⇒वैयक्तिक प्रयोज्य आय वह आय है
जो व्यक्तियों को सभी स्रोतों से प्राप्त होती है तथा सरकार द्वारा आरोपित करों के
भुगतान के बाद व्यक्ति के पास बचती है।
44. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय क्या है ? (What is National Disposable income ?)
उत्तर⇒राष्ट्रीय प्रयोज्य आय वह आय है
जो किसी देश के निवासियों को सभी स्रोतों (अर्जित आय एवं विदेशों से प्राप्त होने
वाले चालू हस्तांतरण भुगतानों) से उपभोग या बचत के लिए एक वर्ष में प्राप्त होती
है।
45. दोहरी गणना की समस्या क्या है? (What is problem of Double counting ?)
उत्तर⇒“राष्ट्रीय आय के आकलन में किसी वस्तु या सेवा का मूल्य एक से अधिक
बार शामिल करना ‘दोहरी गणना’ कहलाता है।
46. सकल राष्ट्रीय उत्पाद क्या है? (What is GNP (Gross National Product?)
उत्तर⇒सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)—सकल राष्ट्रीय उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में
सामान्य निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के
बाजार मूल्य एवं विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का जोड़ है।
GNPMP = GDPMP + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
47. आय के चक्रीय प्रवाह का दो
क्षेत्रीय मॉडल क्या है ?(What
is two sector model of circular flow of income ?)
उत्तर⇒ आय के चक्रीय प्रवाह के दो क्षेत्रीय मॉडल में अर्थव्यवस्था के
केवल दो क्षेत्रों घरेलू क्षेत्र (अर्थात् परिवार) तथा उत्पादक क्षेत्र (अर्थात्
फर्म) के बीच होने वाले चक्रीय प्रवाहों (वास्तविक एवं मौद्रिक) का अध्ययन किया
जाता है।
48. आय के चक्रीय प्रवाह में रिसाव एवं
अन्तःक्षेपण क्या है ?
(What is leakage and injections in the circular flow of income ?)
उत्तर⇒ रिसाव से मतलब वह आय जिसे बचाकर रख लिया जाता है और आय प्रवाह में
वापस नहीं लौटाया जाता है। यदि उत्पादन के साधन अपनी समस्त आय को देश में उत्पादित
वस्तुओं व सेवाओं पर व्यय नहीं करते तो इसे आय का रिसाव कहा जाता है।
इस प्रकार “आय का रिसाव आय का वह भाग है जो आय के चक्रीय प्रवाह के वापस. खर्च
नहीं किया जाता और प्रवाह से बाहर कर दिया जाता है।”.
आय का अन्त:क्षेपण आय में होने
वाली वह वृद्धि है जो चक्रीय प्रवाह में बाहर से किसी और स्रोत द्वारा होती है।
अर्थव्यवस्था के संतुलन के लिए अन्त:क्षेपणों का रिसावों के समान होना आवश्यक है।
अर्थात् अन्तःक्षेपण = रिसाव।
49. वास्तविक प्रवाह क्या है? (What is Real flow ?)
उत्तर⇒ परिवारों से फर्मों को साधन सेवाओं (जैसे भूमि, श्रम, पूँजी आदि) एवं फर्मों से परिवारों
को वस्तुओं या सेवाओं का जो प्रवाह होता है, उसे वास्तविक प्रवाह कहते हैं।
50. फर्म के अधिकतम लाभ की शर्ते क्या
हैं? (What are the conditions
of Profit Maximisation ?)
उत्तर⇒फर्म के अधिकतम लाभ की शर्त
(i). MC = MR
सीमांत लागत = सीमांत आय
(ii). MC वक्र द्वारा MR वक्र को नीचे से काटा जाना चाहिए तभी लाभ अधिकतम होगा।
51. चाय की दो पूरक वस्तुओं का उदाहरण
दें। (Give two examples of
complementary goods of tea.)
उत्तर⇒पूरक वस्तुएँ वे हैं जो किसी
निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग किया जाता है। चाय के दो पूरक
वस्तुएं चाय एवं चीनी।
52. कुल स्थिर लागत वक्र एवं कुल
परिवर्ती लागत वक्र चित्रित करें। (Draw total fixed cost curve and total variable cost curve.)
उत्तर⇒कुल स्थिर लागत वक्र (Total Fixed Cost Curve)
कुल परिवर्ती लगत बक्र ( Total Variable Cost Curve)
53. पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म के माँग
वक्र को चित्र द्वारा दर्शायें।(Show the demand curve of perfectly competitive firm with the help of
a diagram.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म के
मांग वक्रपूर्ण प्रतियोगिता में मांग
वक्र अर्थात् AR (Average Revenue) पूर्ण लोचदार होता है और X-अक्ष के समानान्तर एक पड़ी रेखा के रूप में होता है।
54. एक पूर्ति वक्र चित्रित करें जिसकी
लोच इकाई हो।(Draw a supply curve whose
elasticity is unity.)
उत्तर⇒पूर्ति वक्र का चित्रांक
Part 4
55. प्रति इकाई कर लगाने पर फर्म की
पूर्ति वक्र किस ओर शिफ्ट करती है ? (In which direction the supply curve shifts due to imposition of
per unit tax ? )
उत्तर⇒प्रति इकाई कर लगाने से फर्म की
पूर्ति वक्र बायें से दायें ऊपर की ओर बढ़ता हुआ ता है। इस प्रकार प्रति इकाई कर
लगाने पर फर्म की पूर्ति वक्र का कीमत और कुल पूर्ति के च धनात्मक संबंध को
दर्शाता है।
56. पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में
संतुलन की स्थिति को चित्रित करें।(Draw the state of equilibrium in perfectly competitive market.)
उत्तर⇒
E – पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में संतुलन
की स्थिति बताता है जहाँ मांग और पूर्ति एक दूसरे के बराबर है।
57. संतुलन कीमत क्या है? (What is Equilibrium price ?)
उत्तर⇒संतुलन कीमत वह कीमत है जो माँग
एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिन्दु पर निर्धारित होता है जहाँ वस्तु की माँग
और वस्तु की पूर्ति आपस में बराबर होती है।
“Equilibrium price is
that price which is determined by demand and supply forces at that point where
the demand of commodity and supply of the commodity become equal to each
other.”
58. पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी
प्रतियोगिता में अंतर करें।(Differenctiate between perfect competition and Monopolistic
competition.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता एवं
एकाधिकारी प्रतियोगिता में निम्न अंतर है –
(i). पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु विभेद नहीं होता है जबकि एकाधिकारी
प्रतियोगिता में मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन होता है।
(ii). पूर्ण प्रतियोगिता में बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है जबकि
एकाधिकारी प्रतियोगिता . में बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।
(iii). पूर्ण प्रतियोगिता में साधनों में पूर्ण गतिशीलता पाई जाती है जबकि
एकाधिकारी प्रतियोगिता में साधनों की गतिशीलता अपूर्ण होती है।
(iv). पूर्ण प्रतियोगिता में AR और MR बराबर होते तथा X-अक्ष के बराबर जबकि एकाधिकारी
प्रतियोगिता में AR और MR एकाधिकारी प्रतियोगिता में अधिक लोचपूर्ण होते हैं।
59. फर्म के अधिकतम लाभ की शर्ते क्या
है ? (What are the conditions
of profit maximisation of ferm ?)
उत्तर⇒लाभ के अधिकतम करने की प्रमुख
शर्ते –
(i). अनिवार्य शर्त (Necessary Condition)—सीमांत लागत (MC)
= सीमांत आय (MR) or, (MC = MR)
(ii). पूरक शर्त (Supplementary condition)—संतुलन के बिन्दु पर सीमांत लागत रेखा (MC) सीमांत आय रेखा (MR)
को नीचे से काटे अर्थात् MR और MC की समानता के बिंदु पर MC बढ़ती हुई होनी चाहिए।
(iii). समविच्छेद बिन्दु – यह उस स्थिति में उत्पन्न होती
है जब TR = TC अथवा MR = MC
60. पूर्ति का नियम का उल्लेख करें। (Explain law of supply.)
उत्तर⇒ अन्य बातें समान रहने पर, वस्तु की कीमत वृद्धि पूर्ति को
बढ़ाएगी तथा वस्त की कीमत में कमी पूर्ति को घटाएगी। इस प्रकार वस्तु कीमत तथा
वस्तु पूर्ति में प्रत्यक्ष तथा सीधा संबंध पाया जाता है।
फलन के रूप में S = flp
61. पूर्ति की लोच क्या है? (What is Elasticity of Supply ?)
उत्तर⇒ “पूर्ति की कीमत लोच किसी वस्तु
की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण पर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन की
माप है।
“Price elasticity of
supply is a measurement of the percentage change in quantity supplied of a
commodity in response to some percentage change in its price.
62. पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार में
किन्हीं दो अंतर को लिखिए। (Write any two differences between Perfect Competition and Monopoly.)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार
में दो प्रमुख अंतर निम्न हैं –
(i). पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय और सीमान्त आय दोनों बराबर होते हैं
जबकि एकाधिकार में औसत आय सीमांत आय से अधिक होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में AR = MR जबकि एकाधिकार में AR > MR
(ii). पर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत सीमांत लागत के बराबर होती है
अर्थात् AR = MC जबकि एकाधिकार में वस्तु की
कीमत सीमांत लागत से अधिक होती है अर्थात् AR > MC
63. बाजार मूल्य क्या है ? (What is Market Price ?)
उत्तर⇒बाजार मूल्य में परिवर्तन की
प्रवृत्ति पायी जाती है। बाजार मुल्य अपने प्रत्येक परिवर्तन में पुन: सामान्य
कीमत के बराबर आने का प्रयत्न करती है। बाजार मूल्य सामान्य मल्य के चारो ओर घूमती
रहती है अर्थात् बाजार मूल्य की प्रवृत्ति सदा सामान्य कीमत की ओर आने की होती है।
64. पूर्ण प्रतियोगिता में किसी फर्म के
माँग वक्र की प्रकृति क्या होगी ? (What is the shape of demand curve of a firm in Perfect
competition ?)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म के
माँग वक्र की आकृति इस प्रकार होगी –
65. पूर्ण प्रतियोगिता क्या है ? (What is perfect competition ?)
उत्तर⇒पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह
स्थिति होती है जिसमें एक समान वस्तु के बहुत अधिक क्रेताएँ व विक्रेता होते हैं।
एक क्रेता तथा एक विक्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते और यही कारण है कि
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में वस्तु की एक ही कीमत प्रचलित रहती है।
66. एकाधिकार की परिभाषा दें। (Define Monopoly.)
उत्तर⇒ एकाधिकार दो शब्दों से बना है—एक + अधिकार अर्थात् बाजार की
वह स्थिति जब बाजार में वस्तु का केवल एक मात्र विक्रेता हो। एकाधिकारी बाजार दशा
में वस्तु की एक अकेला विक्रेता होने के कारण विक्रेता का वस्तु की पूर्ति पर
नियंत्रण रहता है। विशुद्ध एकाधिकार में
वस्तु का निकट स्थानापन्न
उपलब्ध नहीं होता है।
67. एकाधिकारी प्रतियोगिता क्या है ? (What is Monopolistic competition ?)
उत्तर⇒ एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार में एकाधिकार तथा प्रतियोगिता दोनों
का अंश पाया जाता है। वास्तविक जगत में न पूर्ण प्रतियोगिता प्रचलित होती है न ही
एकाधिकार। वास्तविक बाजार में प्रतियोगिता एवं एकाधिकार दोनों के तत्त्व उपस्थित
रहते हैं। इस बाजार दशा के समह के उत्पादक विभेदीकृत वस्तुओं का उत्पादन करते हैं
जो एक समान तथा समरूप नहीं होता किन्तु निकट स्थानापन्न अवश्य होता है।
68. एकाधिकार की विशेषताएँ को बताएँ। (Point out features of Monopoly.)
उत्तर⇒ एकाधिकार बाजार में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ पायी
जाती है –
(i). एकाधिकारी बाजार में वस्तु का एकमात्र उत्पादक होता है।
(ii). बाजार में एकाधिकारी का कोई निकट स्थानापन्न उपलब्ध नहीं होता है।
(iii). एकाधिकारी कीमत और उत्पादन दोनों को निर्धारित कर सकता है। लेकिन
एकाधिकारी कीमत और उत्पादन दोनों को एक समय में एक साथ निर्धारित नहीं कर सकता।
(iv). एकाधिकार में नई फर्मों का उत्पादन क्षेत्र में प्रवेश पूर्णतः
प्रतिबंधित होता है।
(v). एकाधिकारी माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है। सीमांत आय (MR) तथा औसत आय (AR)
से कम होता है।
(vi). एकधिकारी की स्थिति में कीमत विभेद की संभावना हो सकती है।
69. व्यावसायिक बैंक की विशेषताएँ
बताइए। (Mention the characteristics
of Commercial Bank.)
उत्तर⇒ व्यावसायिक बैंक की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं—
(i). व्यावसायिक बैंक मुद्रा में
लेन-देन करता है।
(ii). बैंक का उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है।
(iii). बैंक जनता से ऋण देने के उद्देश्य से जमाएं प्राप्त करता है।
(iv). व्यावसायिक बैंक साख का व्यवहार करता है, इन्हें साख-निर्माण करने की योग्यता होती है।
(v). व्यावसायिक बैंक ऐसी वित्तीय संस्था है जिसकी प्रकृति पूर्णत
व्यावसायिक होती
(vi). व्यावसायिक बैंक व्यावसायिक संस्था के रूप में मांग जमा पैदा करती
है और ये जमाएं विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग की जाती है।
70. मध्यवर्ती वस्तुओं के दो उदाहरण
दें। (Give two examples
of intermediate goods.)
उत्तर⇒मध्यवर्ती वस्तुओं के दो उदाहरण
कपास, गन्ना, मैदा है।
71. मूल्यह्रास से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by depreciation?)
उत्तर⇒मूल्यह्रास—किसी परिसम्पति के निरंतर प्रयोग से उसमें टूट-फूट के कारण उसके
मूल्य में होने वाले ह्रास को ही मूल्यह्रास (Depreciation) कहते हैं।
72. राष्ट्रीय आय गणना में निवल निवेश
को परिभाषित करें। (Define
net investment in national income accounting.)
उत्तर⇒निवल निवेश—निवल निवेश से अभिप्राय उस खर्च से है जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थ
जैसे मशीन, औजार, निर्माण हेतु कच्चा माल आदि के भण्डारों में वृद्धि की जाती है।
73. ‘मुद्रा लेखा की इकाई है’ समझाइये। (‘Money
is unit of account’ Explain.)
उत्तर⇒“मुद्रा लेखा की इकाई है।”
केन्स के अनुसार “मुद्रा लेखा या हिसाब की मुद्रा है। हिसाब या लेखा की मुद्रा वह है
जिसमें ऋणों, कीमतों और सामान्य क्रय शक्ति
के काम आती है उसे लेखा या हिसाब की इकाई कहा जाता है।
बेन्हम के अनुसार, “जो मुद्रा व्यवहारिक हिसाब किताब का काम आती है उसे हिसाब की इकाई
कहते हैं जैसे भारत में रुपया व पैसा लेखे की मुद्रा है इसलिए कहा जाता है कि
मद्रा लेखा की इकाई है।
74. अर्थव्यवस्था में स्फीति का क्या
अर्थ है ? (What is the meaning of
inflation in the economy ?)
उत्तर⇒अर्थव्यवस्था में स्फीति का
अर्थ मूल्य स्तरों में होने वाली सतत वृद्धि को ही स्फीति कहा जाता है। स्फीति का
शाब्दिक अर्थ, मुद्रा के मूल्य में कमी होता
है, अर्थात् मुद्रा के क्रय शक्ति
में कमी आने को ही स्फीति कहा जाता है।
75. मुद्रा के प्राथमिक कार्य समझाइए। (Explain Primary Functions of Money.)
उत्तर⇒ मुद्रा के प्राथमिक कार्यों को मुख्य कार्य भी कहा जाता है। इन
कार्यों के अंतर्गत मुद्रा के उन कार्यों को शामिल किया जाता है, जो मुद्रा द्वारा प्रत्येक देश में सम्पादित किये जाते हैं। इसलिए मुद्रा
के इन कार्यों को मौलिक व आवश्यक कार्य भी कहा जाता है। मुद्रा के दो प्राथमिक
कार्य हैं –
(i). विनिमय का माध्यम – मुद्रा
विनिमय के माध्यम के रूप में काम करती है। विनिमय का संपूर्ण कार्य मुद्रा के
माध्यम से किया जाता है।
(ii). मूल्य का मापक – मुद्रा मूल्य मापन को इकाई का
कार्य करती है। मुद्रा द्वारा मूल्य को मापा जा सकता है।
76. मुद्रा के प्रावेगिक अथवा गत्यात्मक
कार्य क्या है ? (What is Dynamic
functions of money ?)
उत्तर⇒मुद्रा के वे कार्य जिनसे
अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियां सक्रीय रूप से प्रचलित । होती है, मुद्रा के प्रावेगिक अथवा गत्यात्मक कार्य कहलाती है।
मुद्रा के गत्यात्मक कार्य
निम्न है—
(i). मुद्रा सामान्य कीमत स्तर को प्रभावित करती है।
(ii). मुद्रा आय, उत्पादन, रोजगार स्तर को प्रभावित करती है।
(iii). मुद्रा मौद्रिक नीति एवं राजकोषीय नीति के निर्धारण एवं संचालक का
आधार है।
(iv). मुद्रा विशिष्टिकरण एवं श्रम विभाजन का आधार है।
77. प्रामाणिक व प्रतीक मुद्रा में अंतर
करें। (Distinguish between
standard and token money.)
उत्तर⇒ प्रामाणिक व प्रतीक मुद्रा में निम्न अंतर है –
(i). प्रामाणिक मुद्रा देश का प्रधान सिक्का होता है जबकि प्रतीक मुद्रा
प्रामाणिक द्रव का सहायक स्वरूप है।
(ii). प्रामाणिक मुद्रा असीमित विधिग्राह होती है जबकि प्रतीक मुद्रा
सीमित विधि ग्राह होती है।
(iii). प्रामाणिक मुद्रा का अंकित मूल्य वास्तविक मूल्य के बराबर होता है
जबकि प्रतीक मुद्रा का अंकित मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक होता है।
(iv). प्रामाणिक मुद्रा का स्वतंत्र ढलाई होती है जबक प्रतीक मुद्रा
सीमित मुद्रा ढलाई होती है।
(v). प्रामाणिक मुद्रा शुद्ध धातु का बना होता है जबकि प्रतीक मुद्रा
खोट मिला होता है।
78. न्यून माँग और अतिरेक माँग को
परिभाषित करें। (Define Deficient Demand
and Excess Demand.)
उत्तर⇒न्यून माँग (Deficient Demand) – “न्यून माँग वह दशा है जिसमें
अर्थव्यवस्था में सामूहिक माँग पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक सामूहिक पूर्ति से कम
होती है।”
अतिरेक माँग (Excess demand)— “अतिरेक माँग वह दशा है जिसमें
सामूहिक माँग अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए आवश्यक सामूहिक पूर्ति से अधिक
होती है।”
“Excess demand refers
to a situation in which aggregate demand becomes excess of aggregate
corresponding in full employment in the economy.”
79. न्यून माँग उत्पन्न होने के कारण
बताएँ।(Explain Reasons of arising
deficient demand.)
उत्तर⇒ न्यून माँग निम्न कारणों से उत्पन्न होती है —
(i). निर्यात में कमी
(ii). बचत प्रवृत्ति में वृद्धि के कारण उपभोग माँग में कमी।
(iii). सार्वजनिक व्यय में कमी
(iv). बैंक दर में वृद्धि से निवेश माँग में कमी
(v). करों में वृद्धि के परिणामस्वरूप व्यय योग्य आय एवं उपभोग माँग में
कमी।
Part 5
80. स्थिर विनिमय दर एवं लोचपूर्ण
विनिमय दर की परिभाषा दें।
(Define fixed exchange rate and flexible exchange rate.)
उत्तर⇒ स्थिर विनिमय दर – स्थिर विनिमय दर वह दर है जिसका
निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है। स्थिर विनिमय दर में सामान्यतया कोई परिवर्तन
नहीं होता या परिवर्तन केवल एक निश्चित सीमा तक ही हो सकते हैं।
लोचपूर्ण विनिमय दर – लोचपूर्ण विनिमय दर वह दर है जिसका निर्धारण बाजार शक्तियों
(विदेशी मुद्रा की माँग व पूर्ति) के आधार पर होता है। विनिमय दर में परिवर्तन
विदेशी विनिमय की बाजार माँग व पूर्ति में परिवर्तन के अनुसार आ सकते हैं लोचदार
विनिमय दर को चलायमान विनिमय दरें भी कहा जाता है।
81. स्फीतिक अंतराल और अवस्फीतिक अंतराल
में क्या अंतर है ?(Distinguish between
Infationary gap and Deflationary gap ?)
उत्तर⇒ न्यून माँग और अतिरेक माँग ही स्फीतिक और अवस्फीति अंतराल को बताती
है। इन दोनों में प्रमुख अंतरों को हम इस प्रकार देख सकते हैं-
(i). स्फीतिक अंतराल सामूहिक माँग का वह स्तर है जो पूर्ण रोजगार संतुलन
के लिए आवश्यक कुल माँग से कम होती है। जबकि अवस्फीतिक अंतराल सामूहिक माँग का वह
स्तर है जो पूर्ण रोजगार संतुलन के लिए आवश्यक कुल माँग के स्तर से अधिक होता है।
(ii). न्यून माँग की स्थिति में सामूहिक माँग पूर्ण रोजगार संतुलन के लिए
आवश्यक सामूहिक पूर्ति से कम होती है। जबकि अतिरेक माँग सामूहिक माँग पूर्ण रोजगार
संतुलन के लिए आवश्यक सामूहिक पूर्ति से अधिक होती है।
(iii). न्यून माँग के कारण अवस्फीतिक अंतराल की स्थिति उत्पन्न होती है
जबकि अतिरेक माँग के कारण स्फीतिक अंतराल उत्पन्न होती है।
82. सरकार का बजट क्या है ? (What is the budget of the government ?
उत्तर⇒सरकार का बजट बजट एक वित्तीय
वर्ष अप्रैल 1 से मार्च 31 तक में सरकार की अनुमानित आय-व्यय का विवरण होता है जिसे बजट कहा
जाता है।
83. खुला अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते
हैं? (What do you understand
by an open economy ?)
उत्तर⇒खुली अर्थव्यवस्था — वे
अर्थव्यवस्था जिसके उदारवादी तथा निजी आर्थिक तत्वा का प्रभाविकता रहती है तथा
आयात-निर्यात पर न्यूनतम प्रतिबंध रहते हैं, खुली अर्थव्यवस्था कहलाता है
जैसे हांगकांग,सिंगापर।
84. घाटे का बजट क्या है ? (What is Deficit Budget ?)
उत्तर⇒घाटे का बजट वह बजट होता है
जिसमें सरकार की अनुमानित आय सरकार के अनुमानित व्यय से कम होती है।
85. सरकारी बजट के किन्हीं दो
उद्देश्यों को समझाइए। (Explain
briefly any two Objectives of government Budget.)
उत्तर⇒सरकारी बजट सरकार के वार्षिक
व्यय एवं आय का ब्योरा प्रस्तुत करता है। बजट सरकार की उन विकास नीतियों एवं
उद्देश्यों को भी बताता है, जिन्हें सरकार बजट के माध्यम से
प्राप्त करती है। इसके दो प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं –
(i). आर्थिक विकास को प्रोत्साहन – बजट का मुख्य
उद्देश्य अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की गति को प्रोत्साहन देना होता है।
आर्थिक विकास को प्रोत्साहन
देने के लिए सरकार कर में छूट,
सरकारी व्यय बढ़ाकर आधारभूत
संरचना सड़क, पुल, नहरे, नल, बिजली आदि का निर्माण करती है।
(ii). रोजगार का सृजन – रोजगार का
सृजन करना भी सरकार के बजट का मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए सरकार श्रम-प्रधान
तकनीकों, सड़क, पुल व बांध का निर्माण जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित
करती है, जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न
होती है।
86. भुगतान शेष के संघटकों को बताइए। (What are the components of Balance of Payment ?)
उत्तर⇒भगतान शेष के संघटकों को दो
भागों में बांटा गया है –
(A). चालू खाते के मदें।
(B). पूँजी खाते के मदें।
(A). चालू खाते के अंतर्गत निम्न हैं-
(i). दृश्य व्यापार शेष या अदृश्य व्यापार खाता
(ii). अदृश्य व्यापार शेष या अदृश्य व्यापार खाता
(iii). एकपक्षीय अंतरण
(B). पॅजी खाते के अंतर्गत निम्न हैं-
(i). सरकारी सौदे
(ii). गैर सरकारी अथवा निजी सौदे
(iii). प्रत्यक्ष निवेश
(iv). पोर्टफोलियो निवेश
87.GNP अवस्फीतिक क्या है? (What is GNP Deflator ?)
उत्तर⇒नकद GNP का वास्तविक GNP
से अनुपात एवं उसका 100 से गुणनफल GNP अवस्फीतिक की आय है। यह उन सभी
वस्तुओं एवं सेवाओं के औसत मूल्य स्तर की माप प्रस्तुत करता है जो GNP में शामिल की जाती है।
88. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? (What is Barter system ?)
उत्तर⇒वस्तु विनिमय प्रणाली एक ऐसी
प्रणाली है जिसमें वस्तु के बदले वस्तु बदली जाती है और विनिमय के किसी
सर्वग्राह्य माध्यम का प्रयोग नहीं होता है।
89. केंद्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए। (Define central Bank.)
उत्तर⇒केंद्रीय बैंक देश की मौद्रिक
और बैंकिंग व्यवस्था की शीर्षस्थ संस्था है जो देश में चलन तथा साख का विकास, नियमन एवं नियंत्रण राष्ट्र के आर्थिक विकास और आर्थिक स्थिरता के
उद्देश्य से कार्य करती है।
90. केंद्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक
में अंतर करें। (Distinguish between
central bank and commercial bank.)
उत्तर⇒(i). केंद्रीय
बैंक देश के विदेशी विनिमय का लेन-देन करता है। जबकि व्यापारिक बैंक केवल केंद्रीय
बैंक की आज्ञा से ही विदेशी विनिमय का व्यवहार कर सकता है।
(ii). केंद्रीय बैंक को व्यापारिक बैंकों से कोई प्रतियोगिता नहीं होती
है जबकि व्यापारिक बैंक परस्पर प्रतियोगिता करते हैं।
(iii). केंद्रीय बैंक को पत्र मुद्रा निर्गमन करने का एकाधिकार होता है
जबकि व्यापारिक बैंक को यह अधिकार नहीं है।
(iv). केंद्रीय बैंक सरकार के बैंकर के रूप में सरकार की ओर से लेन-देन
करता है जबकि व्यापारिक बैंक जनता का बैंकर है।
(v). केंद्रीय बैंक सरकार का स्वामित्व होता है जबकि व्यापारिक बैंक
जनसाधारण में व्यवसाय करते हैं।
91. केंद्रीय बैंक के विकासात्मक कार्य
का उल्लेख करें। (Explain Development
related functions.)
उत्तर⇒केंद्रीय बैंक के विकासात्मक
कार्य निम्न हैं –
(i). संगठित बैंकिंग प्रणाली का विकास करता है और नई वित्तीय संस्थानों
का निर्माण करता है।
(ii). विकास कार्यों के लिए केंद्रीय बैंक पर्याप्त मुद्रा की पूर्ति
सुनिश्चित करता है।
(iii). विनियोग को प्रोत्साहन देने के लिए सस्ती मुद्रा नीति अपनाता है।
(iv). देश के तीव्र औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त औद्योगिक वित्त का
प्रबंध करता है।
92. बैंक दर एवं ब्याज दर में अंतर
करें। (Distinguish between bank
rate and interest rate.)
उत्तर⇒बैंक दर एवं ब्याज दर दोनों में
अंतर होता है। ब्याज दर वह दर है जिस पर देश के व्यापारिक बैंक एवं अन्य वित्तीय
संस्थाएं ऋण देने को तैयार होती है। इस प्रकार जबकि बैंक दर कद्रीय बैंक की पुनः
कटौती है, बाजार ब्याज दर व्यापारिक बैंक
की ऋण देने की ब्याज की दर होती है।
93. केंद्रीय बैंक के अंतिम ऋणदाता के
कार्य को स्पष्ट करें। (Explain
the ‘lender of laste resort function of the central Bank.)
उत्तर⇒केंद्रीय बैंक देश के अन्य
बैंकों के लिए अंतिम ऋणदाता के रूप में भी कार्य करता है। आज सभी केंद्रीय बैंक, अंतिम ऋणदाता के दायित्व को निभा रहे हैं। जब किसी व्यापारिक बैंक
को वित्तीय संकट के दौरान कहीं से भी ऋण प्राप्त नहीं हो पाता तो वह केंद्रीय बैंक
से अंतिम सहारे के रूप में ऋण की माँग कर सकता है।
केंद्रीय बैंक, सदस्य बैंकों को ग्रहण करने योग्य बिलों की कटौती कर के अंतिम
ऋणदाता के रूप में कार्य करता है।
94. गुणक प्रक्रिया क्या है ? (Explain the process of Multiplier ?)
उपर्युक्त ……… चित्र ………..
उत्तर⇒उपर्युक्त गुणक प्रक्रिया
स्पष्ट करती है कि निवेश में परिवर्तन होने से आय में परिवर्तन होता है। इसके
फलस्वरूप उपभोग में परिवर्तन होता है। चूंकि एक व्यक्ति का उपभाग व्यय दूसरे
व्यक्ति की आय होती है। अतः उपभोग में परिवर्तन होने से आय में परिवर्तन होता है।
इस प्रकार यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक उपभोग व्यय में परिवर्तन (∆C) शून्य नहीं हो जाता।
गुणक प्रक्रिया दो प्रकार की
होती है। निवेश के बढ़ने पर गुणक,
आय में कई गुणा वृद्धि कर देता
है। इसे गुणक की अनुकूल प्रक्रिया (Forward Action of Multiplier) कहते हैं। इसके विपरीत, निवेश के कम होने पर गुणक के
प्रभाव से आय में कई गुना कमी हो जाती है। इसे गुणक की प्रतिकुल प्रक्रिया (Backward Action of Multiplier) कहा जाता है।
95. आय के चक्रीय प्रवाह द्वारा
अर्थव्यवस्था के संतुलन को दर्शायें । (Show the equilibrium of the economy with the help of circular flow
of income.)
उत्तर⇒आय के चक्रीय प्रवाह द्वारा
अर्थव्यवस्था के संतुलन –
अर्थव्यवस्था के चक्रीय प्रवाह
में संतुलन की शर्त निम्न प्रकार है –
Y = C + 1 + G + C (X –
M)
Y = आय अथवा उत्पादन
C = उपभोग व्यय
I = निवेश व्यय
G = सरकारी व्यय
X – M = शुद्ध निर्यात जहाँ X = निर्यात, M = आयात
96. निर्गत गणक क्या है ? (What is output multiplier ?)
उत्तर⇒निर्गत गुणक—निर्गत गुणक वह अंक है जिसके साथ निवेश में किए गए परिवर्तन को
गुणा करके उसके फलस्वरूप आय में हुई वृद्धि का वृद्धि से K गुना अधिक होगी।
निर्गत गुणक को निम्न सूत्र
द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
97. तरलता जाल क्या है ? (What is liquidity Trap ?)
उत्तर⇒यह वह दशा है जिसमें सट्टे के
लिए मुद्रा की माँग पूर्णतः लोचदार हो जाती है। यह पूर्ण तरलता पसंदगी की दशा है।
जिसे प्रयोग दिए चित्र में से स्पष्ट किया जा सकता है। इस शब्दावली का प्रयोग
प्रो० जे० एम० कीन्स द्वारा किया गया है।
98. किसी सरकार के प्रमुख कार्य क्या है
? (What are important
functions of the government?)
उत्तर⇒ सरकार के प्रमुख कार्य—सरकार बहुत सारे प्रमुख कार्य करती है। सरकारी हस्तक्षेप से ही
निजीकरण के दौर से पहले कई दशकों तक आर्थिक क्रियाओं के सभी क्षेत्रों में सरकारी
हस्तक्षेप देखने को मिला। वर्तमान समय में अर्थ-व्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में
सरकार प्रमुख कार्य करती है। सरकार आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करती
है।
वर्तमान समय में विश्व में
सरकार की प्रमुख भूमिका देखने को मिल रहा है।
सरकारी भूमिका में धनात्मक पहलू
को देखा जा सकता है-
(i). बाजार शक्तियों का स्वतंत्र क्रियाशीलता से उत्पादकों
के लाभ का अधिकतमीकरण . संभव होता है जिससे आर्थिक विकास दर को गति मिलती है।
(ii). सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप से उत्पादन में वृद्धि
होती है जिससे आर्थिक विकास संभव हो पाता है।
(iii). आत्मनिर्भरता के लिए सरकार विशेष पैकेजों द्वारा लोगों को
आत्मनिर्भर बनाने की प्रक्रिया अपनायी है। इस तरह आर्थिक विषमता को दूर करने के
लिए सरकार अहम भूमिका निभाती है।
99. आवश्यकताओं के दुहरा संयोग से आप
क्या समझते हैं ?
(What do you understand by double coincidence of wants ?)
उत्तर⇒आवश्यकताओं के दुहरा संयोग-जब
वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत विनिमय केवल उसी समय संभव हो सकता है जबकि
व्यक्तियों के पास एक दूसरे की आवश्यकता की वस्तु हो और साथ ही वे आपस में
एक-दूसरे से बदलने को तैयार हो परन्तु ऐसा संयोग सदा
संभव नहीं होता है। जैसे एक
व्यक्ति चावल के बदले में कपड़ा चाहता है तो वह विनिमय तब ही कर सकेगा जबकि उसे
ऐसा कोई व्यक्ति मिल जाए जिसके पास बदलने के लिए न केवल कपड़ा फालतू हो बल्कि जिसे
चावल की भी आवश्यकता हो। व्यावहारिक जीवन में ऐसा दोहरा संयोग कठिनता से मिलता है।
100. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति क्या है ? (What is marginal propensity to consume ?)
उत्तर⇒सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कुल
उपयोग स्तर में परिवर्तन कुल आय में परिवर्तन से अनुपात सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
कहलाता है।
कुशीहारा के अनुसार, “सीमान्त
उपभोग प्रवृत्ति उपभोग में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाला परिवर्तन का
अनुपात है।”
Part 6
101. औसत परिवर्तनशील लागत वक्र (Average Variable cost) की आकृति खींचें।
(Draw a figure of Average variable cost.)
उत्तर⇒औसत परिवर्तनशील लागत कुल
परिवर्तनशील लागत एवं उत्पादन की मात्रा का भागफल होती है।
अर्थात AVC = TVC/q
102.“माँग वक्र माँग के नियम का निरूपण
है।” स्पष्ट करें। (Demand curve is a depiction of law of demand
clarify.)
उत्तर⇒मॉग वक्र जब रेखा चित्र के रूप
में प्रदर्शित कर दिया जाता है तब उस माग वक्र कहते है। यह माँग वक्र कीमत एवं
माँगी गयी मात्रा के बीच एक विपरीत संबंध बताता है। इस विपरीत संबंध के कारण माँग
वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है, जो माँग के नियम का निरूपण करती
है। अर्थात यह प्रदर्शित करता है कि ऊँची कीमत पर माँगी गयी मात्रा कम होगा एव कम
कीमत पर माँगी गई मात्रा अधिक होगी।
103. एकाधिकार में माँग वक्र के आकार को
बताएँ। (Mention shape of demand
curve in Monopoly.)
उत्तर⇒एकाधिकार में माँग वक्र ऋणात्मक
ढाल वाला होता है, अर्थात् दायीं ओर ढालू होता है।
इस वक्र का दायीं ओर ढालू होना यह बताता है कि कीमत कम करने पर वस्तु की अधिक
इकाइयाँ बेची जाती है। एकाधिकार में निकट स्थानापन्न न मिलने के कारण माँग कम
लोचदार होता है। इसलिए यदि एकाधिकारी अपनी वस्तु की कीमत बढ़ाता है, तो क्रेताओं के सामने कोई स्थानापन्न वस्तु खरीदने का विकल्प नहीं
होता है। अतः कीमत बढ़ने पर वे उसी वस्तु
को कम मात्रा में खरीदते हैं। फलस्वरूप माँग वक्र कम लोचदार होता है।
104. कॉफी की कीमत में वृद्धि चाय की
माँग को किस प्रकार प्रभावित करेगी ? (How will an increase in the price of coffee affect the demand for
tea ?)
उत्तर⇒कॉफी की कीमत में वृद्धि के
परिणामस्वरूप चाय की माँग में वृद्धि हो जाती है। दोनों ही वस्तुएँ एक दूसरे की
स्थानापन्न है, जो एक दूसरे के बदले एक ही
उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाती है। ऐसी वस्तुओं में जब एक वस्तु की कीमत में
वृद्धि होती है तब अन्य बातें समान रहने की दशा में स्थानापन्न वस्तु की माँग में
वृद्धि हो जाती है अर्थात् काफी की कीमत में वृद्धि की दशा में चाय की माँग में
वृद्धि होगी।
105. साख नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य
क्या है? (What is main objectives
of credit control ?)
उत्तर⇒साख नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य
निम्न हैं –
(i). कीमत स्थिरता स्थापित करना।
(ii). विदेशी विनिमय दर के स्थिरता लाना।
(iii). आर्थिक नियोजन को सफल बनाना।
(iv). उत्पादन एवं रोजगार वृद्धि के उपाय करना।
106. रेपो दर तथा रिवर्स रेपो दर क्या है
? (What is Repo Rate and
Reverse Repo Rate ?)
उत्तर⇒रेपो दर वह दर है जिस पर देश का
केंद्रीय बैंक अपने वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है।
रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर
वाणिज्यिक बैंक अपने आधिक्य कोषों को देश के केंद्रीय बैंक के पास जमा करके लाभ
अर्जित करते हैं।
107. नकद कोषानुपात तथा साविधिक तरलता
अनुपात में अंतर करें। (Distinguish
between CRR and SLR.)
उत्तर⇒नकद कोष अनुपात और साविधिक
तरलता अनुपात में अंतर यह है कि नकद कोष अनुपात का धन बैंकों को केंद्रीय बैंक के
पास रखना पड़ता है जबकि साविधिक तरलता अनुपात की राशि व्यापारिक बैंक स्वयं अपने
पास नकद रूप में या अन्य तरल परिसम्पतियों के रूप में रखते हैं।
108. उपभोग प्रवृत्ति क्या है ? (What is propensity to consume ?)
उत्तर⇒आय में वृद्धि पर उपभोग में
कितनी वृद्धि होगी यह केन्स के अनुसार उपभोग प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। इसी
प्रकार आय के बढ़ने पर बचत में जो वृद्धि होती है उसे बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
109. निम्न को परिभाषित करें –
(A). औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average propensity to consume)
(B). औसत बचत प्रवृत्ति (APS)
(C). सीमांत बचत प्रवृत्ति (Marginal propensity to save)
उत्तर⇒ (A). औसत उपभोग प्रवृत्ति (Average propensity to consume) – आय का वह भाग जो उपभोग पर व्यय किया जाता है, उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
(B) औसत बचत प्रवृत्ति (APS) – औसत बचत
प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुल बचत और कुल
आय का अनुपात है।
(C) सीमांत बचत प्रवृत्ति (Marginal propensity to save) — आय में होने वाले परिवर्तन (∆y) के कारण बचत
में होने वाले परिवर्तन (∆C) के अनुपात को सीमांत बचत
प्रवृत्ति कहते हैं।
इस प्रकार सीमांत बचत प्रवृत्ति
बचत में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन का अनुपात है।
(The marginal
propensity to save is the ratio of change in saving to change in income.)
110. साख नियंत्रण के मात्रात्मक उपाय को
बताएँ। (Explain tools of
quantiative method of credit control.)
उत्तर⇒ (i). बैंक दर
(ii). खुले बाजार की क्रियाएं
(iii). नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
(iv). साविधिक तरलता अनुपात में परिवर्तन
111. साख नियंत्रण के गुणात्मक उपाय
बताएँ। (Explain qualitative
methods of credit control.)
उत्तर⇒ (i). साख की
राशनिंग
(ii). उपभोक्ता साख नियमन
(iii). सीमांत आवश्यकताओं में परिवर्तन
(iv). प्रत्यक्ष कार्यवाही
(v). नैतिक दबाव
(vi). प्रसार
112. पूँजी की सीमांत उत्पादकता या
क्षमता क्या है? (What is marginal
efficiency of capital ?)
उत्तर⇒पूँजी की सीमांत कुशलता किसी
पूँजीगत पदार्थ की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से. है। उसकी लागत की तुलना
में, मिलने वाले लाभ की अनुमानित दर
है।
(Marginal efficiency
of capital is expected rate of return of an additional unit of captial goods
over itscost.)
113. प्रभावपूर्ण माँग क्या है? (What is effective demand ?)
उत्तर⇒जिस बिन्दु पर सामूहिक माँग और
सामूहिक पूर्ति बराबर होते हैं उसे प्रभावपूर्ण माँग कहते हैं।
114. माँग की लोच को मापने का अनुपातिक
रीति क्या है? (What is the
proportionate method of Measuring elasticity of demand ?)
उत्तर⇒ इस रीति का प्रतिपादन प्रो० फ्लक्स (Prof. Flux) ने किया। इस रीति के अनुसार, माँग की लोच का अनुमान लगाने के लिए माँग में होने वाले आनुपातिक
या प्रतिशत परिवर्तन (Proportionate or
percentage change in demand) को कीमत में होने वाले आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन (Proportionate or Percentage change in price) से भाग कर दिया जाता है। इस
विधि द्वारा माँग की लोच की माप निम्नलिखित सूत्रों की सहायता से ज्ञात होता है –
ed = (-) माँग में आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन। कीमत में आनुपातिक या
प्रतिशत परिवर्तन
115. राष्ट्रीय आय क्या है? (What is National income ?)
उत्तर⇒आय (लगान + मजदूरी + ब्याज तथा
लाभ) तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का जोड़ साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
अथवा राष्ट्रीय आय कहलाता है। अर्थात् साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) एक वर्ष में एक देश में सामान्य
निवासियों द्वारा अर्जित कुल साधन आय का जोड़ है।
116. उपभोक्ता संतुलन से क्या अभिप्राय
है ? (What is meant by
consumer equilibrium ?)
उत्तर⇒ उपभोक्ता संतुलन का तात्पर्य एक उपभोक्ता उस समय संतुलन में होता
है, जब वह अपनी दी हुई आय तथा बाजार
कीमतों से प्राप्त संतुष्टि को अधिकतम कर लेता है।
उपभोक्ता संतुलन की स्थिति तब
प्राप्त करता है. जब वह प्रति रुपया संतष्टि MUxIPx मुद्रा की सीमांत उपयोगिता MUM के बराबर हो जाती है अर्थात् MUxIPx = MUM
117. सामान्य वस्तु एवं गिफिन वस्तु के
बीच अंतर स्पष्ट करें। (Distinguish
between Normal goods & Giffin goods.)
उत्तर⇒सामान्य वस्तु तथा गिफिन वस्तु
में निम्न अंतर इस प्रकार है –
Sl. N |
सामान्य
वस्तु |
गिफिन वस्तु |
1. |
(i). सामान्य वस्तु वह वस्तु है जिस पर माँग का नियम लागू
होता है। |
(i). गिफिन वस्तु वह घटिया वस्तु
है जिस पर माँग नियम लागू नहीं होता। |
2. |
(ii). सामान्य वस्तु की माँग वक्र
का ढलान ऊपर से नीचे बायें से दायेंकी ओर होता है। |
(ii). गिफिन वस्तु की माँग की ढलान नीचे से ऊपर की ओर होता
है। |
3. |
(iii). सामान्य वस्तु की आय प्रभाव
धनात्मक |
(iii). गिफिन वस्तु की आय प्रभाव
ऋणात्मक होता है। |
118. प्राथमिक घाटा क्या हैं ?(What is primary deficit ?)
उत्तर⇒ प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटे तथा भगतान किये जाने वाले ब्याज का
अंतर है।
[ प्राथमिक घाटा या सकल प्राथमिक
घाटा ] = [ राजकोषीय घाटा] –
[ ब्याज भुगताना ]
प्राथमिक घाटा यह स्पष्ट करता
है कि देश की सरकार को कितने ऋण की आवश्यकता है। सरकार को ब्याज के भुगतान के
अतिरिक्त अपने और खर्च चलाने के लिए कितने ऋण की आवश्यकता है।
119. ‘एक दिष्ट अधिमान’ से आप क्या समझते हैं ? (What do you mean by ‘Monotonic preference’?)
उत्तर⇒ एक उपभोक्ता दो वस्तओं के विभिन्न बंडलों को अधिमान देता है जिसमें
इन वस्तओं में से कम से कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो और दूसरे बंडल की तुलना में
दूसरी वस्तु की मात्रा भी कम नहीं हो। यह स्थिति एक दिष्ट अधिमान की सूचक है।
120. आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती
हैं ? (Why does in economic
problem arise ?)
उत्तर⇒सीमित साधनों में असीमित
आवश्यकताएँ आर्थिक समस्या को जन्म देती है। आवश्यकताओं में तीव्रता से अंतर होने
के कारण साधनों का वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण तथा चयन या चुनाव की समस्या भी
आर्थिक समस्या या केंद्रीय समस्या को जन्म देती है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट
होता है कि असीमित आवश्यकताएँ एवं सीमित साधन दो आधारभूत स्तंभ है जिन पर सभी
आर्थिक समस्याओं का ढाँचा खड़ा है।
121. किसी वस्तु की पूर्ति’ एवं ‘stock’ में क्या अंतर हैं ? (What is difference between “supply’ and ‘stock’
of a goods ?)
उत्तर⇒स्टॉक वस्तु की वह मात्रा है जो किसी समय विशेष पर बाजार में विक्रेताओं के पास उपलब्ध है जबकि पूर्ति वह मात्रा है जिसे किसी निश्चित समय में तथा किसी निश्चित कीमत पर विक्रेता बेचने को तत्पर्य है यदि बाजार में वस्तु की कीमत कम है तो विक्रेता वस्तु का अधिक स्टॉक रखते हुए भी वस्तु की कम मात्रा बेचने को तैयार होंगे।
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