PM Poshan Yojna: स्कूलों में पौष्टिक मिड डे मील मिलने के बाद भी बच्चे कमजोर, बाल स्वास्थ्य सर्वे में दांत खराब और खून की कमी सहित सामने आई यह चिंताजनक रिपोर्ट


Himwant Educational News: शिक्षा विभाग के पौष्टिक मिड डे मील मिलने के बाद भी बच्चों में खून की कमी और दांतों की बीमारी सहित कई चिंताजनक लक्षणों का खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की सर्वेक्षण रिपार्ट में छात्र- छात्राओं की स्वास्थ्य पर रिपोर्ट सामने आई है। 
   School health program: साढ़े चार लाख से ज्यादा छात्रों के सर्वे में 13 फीसदी को खून की कमी, आंखों की बीमारियों, त्वचा से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित पाया गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2023 से नवंबर 2023 की इस रिपोर्ट पर केंद्र और राज्य सरकार भी गंभीर है। एडी समग्र शिक्षा अभियान डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि छात्रों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर एहतियात बरता जा रहा है। विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त पाए गए छात्रों में 13 हजार से ज्यादा बच्चों को उपचार के लिए रैफर भी किया गया है।
  मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीमार बच्चों की संख्या का ग्राफ अभी और भी बढ़ सकता है। दरअसल, पहली से आठवीं कक्षा तक में इस वक्त सरकारी स्कूलों में 6.50 लाख के करीब छात्र-छात्राएं रजिस्टर्ड हैं। केंद्रीय शिक्षा सचिव संजय कुमार ने राज्य को बाकी छूटे बच्चों का सर्वेक्षण भी जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
इन बीमारियों की हुईं पहचान
बच्चों में दांत और त्वचा की बीमारी सबसे अधिक दर्ज हुई है। दांतों की सड़न समेत विभिन्न रोगों से ग्रस्त 16 हजार से ज्यादा बच्चे मिले हैं। वहीं करीब नौ हजार छात्र-छात्राएं त्वचा से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित पाए गए। चिकित्सकों के अनुसार दोनों ही बीमारियां स्वच्छता के प्रति लापरवाही के कारण हो रही है। इसके साथ ही खून की कमी 1648 आंखों के रोग 5845 स्किन समस्या 8897 दांतों की बीमारी 16,460 सुनने की समस्या 2487 शारारिक विकार 130 मानसिक विकार 78 अन्य बीमारियां 24,202 दर्ज की गई हैं।
   इस मामले में डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा है कि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार गंभीर है। स्वास्थ्य के प्रति बच्चों और अभिभावकों को जागरुक किया जाएगा। सभी अधिकारियों को इस बाबत निर्देशित किया जा रहा है कि स्कूल अवधि में छात्र- छात्राओं को स्वच्छता के प्रति अधिक से अधिक संवेदनशील बनाया जाए। साथ ही अभिभावकों के साथ भी नियमित रूप से संपर्क में रहा जाए।

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