Elisa Carlson 20 साल की वो लड़की जो 2030 में मंगल ग्रह जाएगी, लेकिन शायद ही कभी धरती पर लौट पाएगी, 3 साल की उम्र से कर रही है तैयारी,

Elisa Carlson
यह है 20 वर्षीय एलिसा कार्सन, और यह दुनिया की पहली अंतरिक्ष यात्री होगी जो 2030 में मंगल ग्रह पर जाएगी लेकिन कभी भी धरती पर वापिस नहीं लौटेगी, क्योंकि वहां से वापिस आने की अभी कोई टेक्नोलोजी विकसित नहीं हुई है। यह एक तरफा यात्रा होगी। इसीलिए वह अपने आप को बचपन से तैयार कर रही है। एलिसा कभी शादी नहीं करेगी। स्पेस साईंस के विस्तार के लिए वह अपनी कुर्बानी देने जा रही है। है ना कमाल की हिम्मत और अद्भुत सोच ?
     दुनिया भर के देशों के मार्स मिशन ने ये साबित कर दिया है कि इंसान धरती के अलावा भी किसी दूसरे ग्रह पर जीवनयापन के सपने देख रहे है. अब मार्स पर जीवन तलाशने का एकलौता मकसद यही था. और अब इस दिशा में दुनिया के कई देश आगे बढ़ चुके हैं. अब अगर आपका अगला सवाल ये है कि मंगल पर बसने वाला सबसे पहला इंसान कौन होगा, तो इसका जवाब भी तैयार है. एलिसा कार्सन - सबसे पहले मार्स पर जाएंगी. एलिसा को बहुत कम उम्र में ही ये बता दिया गया था कि वो मंगल पर जाएंगी, इसलिए उसने धरती पर ही खुद को कुछ तरह से बड़ा किया है कि अगर वो मंगल ग्रह पर पहुंच जाए तो वहां आराम से गुज़र-बसर कर सके.
3 साल की उम्र में देखा सपना
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जिस उम्र में बच्चा ठीक से अपने विज़न नहीं समझ पाता, उस उम्र में एलिसा कार्सन ने स्पेस की सैर करने का सपना देख लिया था. 10 मार्च 2001 को अमेरिका के लुसियाना में जन्मी एलिसा के पिता ने उन्हें अंतरिक्ष और ग्रहों की कहानियां बताईं. एलिसा का कमरा भी कुछ ऐसे डिजाइन किया गया, मानों वे अंतरिक्ष में हों. कमरे के दीवारों पर चांद, सितारे और ग्रह. जमीं पर स्पेस स्टेशन और रॉकेट. यहां तक कि एलिसा के बेड पर भी अंतरिक्ष के प्रिंट थे.  कुल मिलाकर उसकी दुनिया धरती से ज्यादा अंतरिक्ष में थी. फिलहाल एलिसा अमेरिकन एस्ट्रोनॉट ट्रेनी है. लेकिन यहां पहुंचने का सपना उन्होंने 3 साल की उम्र में ही देख लिया था. एलिसा अपने पिता बर्ट कार्सन के साथ बैठकर ‘The Backyardigans’ कार्टून देखा करती थीं. जिसमें एस्ट्रोनॉट की कहानियां थीं.
    इस कार्टून में पांच जानवरों का समूह अपने बैकयार्ड में से एडवेंचर पर जाया करता था. इसी एडवेंचर टूर में वे मंगल ग्रह पर पहुंचे. सारे ग्रहों को छोड़ एलिसा को लाल रंग के मंगल ग्रह में दिलचस्पी पैदा हो गई. इसके बाद उन्होंने मंगल पर रोवर लैंडिंग के वीडियोज देखना शुरू कर दिया. उनके कमरे में मंगल ग्रह का बड़ा-सा पोस्टर लगा था, जिसे वो देखती रहती थी. पिता ने एलिसा को टेलिस्कोप लाकर दिया ताकि वह अंतरिक्ष को और करीब से देख सके।
स्पेस कैंप से मिला नया रास्ता
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2008 में एलिसा के पिता उन्हें हंट्सविले, अल्बामा के स्पेस कैंप में ले गए. वैसे ये वीएंड कैंप था पर एलिसा को यहां इतना अच्छा लगा कि उन्होंने 18 बार इसके चक्कर लगाए. वहां एलिसा ने पहली बार लाइफ़ साइज़ रॉकेट देखा था. 12 वर्ष के होने तक उन्होंने नासा के सभी तीन स्पेस कैंप अटेंड कर इतिहास रच दिया. एलिसा से पहले किसी बच्चे को यह मौका नहीं मिला था. 2013 तक एलिसा ने सभी 14 नासा विजिटर सेंटर घूम लिए. 
   ऐसा करने के साथ ही वे नासा पासपोर्ट प्रोग्राम पूरा करने वाली पहली इंसान बनी. स्पेस कैंप में जाते हुए एलिसा ने तय कर लिया था कि वे एस्ट्रोनॉट बनेंगी और उनकी पहली यात्रा मंगल ग्रह होगी. यही कारण है कि नासा ने एलिसा को बचपन में ही इस लक्ष्य के लिए तैयार करना शुरू कर दिया. एलिसा ने ज्यादा दोस्त नहीं बनाएं, वे ज्यादा सोशल नहीं हैं.
   एलिसा बचपन से ही नपा-तुला भोजन करती हैं. कुल मिलाकर उनका शरीर इस तरह के खाने का आदि है जैसा ही एस्ट्रोनॉट खाते हैं. एलिसा 18 साल की हो चुकी हैं, वो ज्यादातर वक्त पढ़तीं हैं. फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में वह अभी एस्ट्रोबायोलॉजी की पढ़ाई कर रहीं हैं. इसके बाद वे नासा के साथ काम करेंगी और 32 साल की उम्र वे नासा के उस मिशन का हिस्सा होंगी, जो इंसानों के एक दल को लेकर मंगल पर जाएगा. इस मिशन का उद्देश्य है, मंगल पर इंसानी भविष्य की उम्मीदें तलाश करना. कॉलोनियों का निर्माण करना, खेती करना और वहां के वातावरण को इंसानों के लिए हर तरह से परखना. यह मिशन करीब 3 साल का है. यानि एलिसा अपने साथियों के साथ तीन साल तक मंगल ग्रह पर रहने वाली हैं.
अगर वापस आ पाई तो बनेंगी टीचर
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अपने एक इंटरव्यू में एलिसा कहती हैं कि वे टीचर या देश की प्रेसीडेंट बनने का सपना भी देखती हैं पर ऐसा तब होगा जब वे मंगल मिशन को पूरा कर के धरती पर सही सलामत लौट आएंगी. जिसके बारे में अब तक नासा ने भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. कुल मिलाकर एलिसा बचपन से जानती हैं कि वे एक ऐसी दुनिया के लिए तैयार हो रही हैं, जहां से शायद वे लौट आएं और शायद नहीं भी.
दिलचस्प ग्रह है मंगल
बहरहाल हम तक यही कामना करते हैं कि एलिसा और उनके साथी मंगल पर दुनिया बसकर जल्दी ही धरती पर लौट आएं. ​फ़िलहाल हम तो मंगल पर नहीं जा रहे हैं इसलिए चलते चलते आपको मंगल के बारे में लिए दिलचस्प बातें बता देते हैं. मंगल को लाल ग्रह कहते हैं क्योंकि मंगल की मिट्टी के लौह खनिज में ज़ंग लगने की वजह से वातावरण और मिट्टी लाल दिखती है. इतना ही नहीं मंगल के दो चंद्रमा हैं. इनके नाम फ़ोबोस और डेमोस हैं. फ़ोबोस धीरे-धीरे मंगल की ओर झुक रहा है, हर सौ साल में ये मंगल की ओर 1.8 मीटर झुक जाता है. अनुमान है कि 5 करोड़ साल में फ़ोबोस या तो मंगल से टकरा जाएगा या फिर टूट जाएगा और मंगल के चारों ओर एक रिंग बना लेगा.
फ़ोबोस पर गुरुत्वाकर्षण धरती के गुरुत्वाकर्षण का एक हज़ारवां हिस्सा है. इसे कुछ यूं समझा जाए कि धरती पर अगर किसी व्यक्ति का वज़न 68 किलोग्राम है तो उसका वज़न फ़ोबोस पर सिर्फ़ 68 ग्राम होगा. आपको बता दें कि मंगल पर पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुवों पर मिलता है और ये कल्पना की जाती है कि नमकीन पानी भी है जो मंगल के दूसरे इलाकों में बहता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल पर करीब साढ़े तीन अरब साल पहले भयंकर बाढ़ आई थी. हालांकि ये कोई नहीं जानता कि ये पानी कहां से आया था, कितने समय तक रहा और कहां चला गया. मंगल पर वातावरण का दबाव धरती की तुलना में बेहद कम है इसलिए वहां जीवन बहुत मुश्किल है.
     लेकिन, इंसान ने हर बार यही साबित करने की कोशिश की है कि वो किसी भी परिस्थिति में, कैसी भी मुश्किलों से जूझ सकता है. एलिसा भी यही कोशिश कर रही हैं। इस पोस्ट को शेयर करें।

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