Crime: मेडिकल छात्र ने पत्नी के साथ मिलकर देहरादून में रिटायर्ड प्रिंसिपल की हत्या कर शव ऐसे लगाया ठिकाने
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किसी भी भाषा की अभिव्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से जानने को मिलती है। जब हम जो बोलते हैं उसे ध्वनि कहा जाता है। इसी के माध्यम से हम अपने विचारों और भावनाओं को प्रकट करते हैं और सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। दूसरी तरफ देखा जाए तो अगर हम विचार और भावनाएं लिखना चाहे तो इन्हें ध्वनि को लिखने के लिए हमें चिन्ह का उपयोग करना पड़ता है। ध्वनि के इन्हीं चिन्हों को वर्ण कहते हैं। भाषा के अंदर सबसे छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण होता है। वर्णों के समूह को अक्षर के नाम से जाना जाता है। सभी वर्णो या अक्षरों को मिलाकर varnamala बनती है। वर्णों को व्यवस्थित समूह में रखने को वर्णमाला कहते है।
हिंदी व्याकरण में हिन्दी वर्णमाला ( Hindi Alphabet) को दो भागो में बाटा गया है।
वे वर्ण ,जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है या स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ,स्वर (Vowels) कहलाते हैं।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ औ ऋ और लृ एवं लृ दोनों का प्रयोग अब नहीं होता है। इस प्रकार अब Hindi Varnamala में स्वरों (Vowels) की संख्या 11 है।
स्वर – मात्रा
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 10 है।
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में उच्चारण के आधार पर स्वर (Swar) के तीन भेद होते हैं।
वे स्वर जिनके उच्चारण में कम समय लगता है ह्रस्व स्वर कहते हैं। इनमें मात्राओं की संख्या सिर्फ एक होती है। ह्रस्व स्वर हिन्दी में चार हैं- अ, इ, उ, ऋ
वे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से ज्यादा समय लगता है, दीर्ध स्वर कहते हैं। दीर्घ स्वर हिन्दी में सात हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
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हिंदी व्याकरण में स्वरों का वर्गीकरण निम्न है।
1- जिह्वा की ऊचाई के आधार पर –
2- जिह्वा की उत्थापित भाग के आधार पर –
3- ओष्ठों की स्थिति के आधार पर –
4- जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर –
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो पाता है ,उन्हें व्यंजन वर्ण (Hindi Vyanjan) कहते है।
जैसे – क (क्+अ)
व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं :
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala/Alphabet) में व्यंजन निम्न 3 प्रकार के होते हैं।
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए किसी विशेष स्थान (कण्ठ्य,तालु,मूर्धा,दन्त एवं ओष्ठ) को स्पर्श करे ,स्पर्श व्यंजन कहलाते है।
जैसे –
Hindi Varnmala (वर्णमाला) में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 है।
जिन वर्णो का उच्चारण वर्णमाला के बीच (स्वर एवं व्यंजन के मध्य) स्थित हो ,अन्तस्थ व्यंजन कहलाते है।
जैसे – अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व
जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख में घर्षण /रगड़ती हुई महसूस हो ,उसे उष्म/संघर्षी व्यंजन कहते है।
जैसे – उष्म/संघर्षी व्यंजन – श ष स ह
Hindi Varnmala में उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण निम्न है –
Hindi Varnmala के स्पर्श व्यंजन के प्रत्येक वर्ग (क च ट त प) के प्रथम एवं द्वितीय व्यंजन, अघोष व्यंजन कहलाते है।जैसे – क ख च छ ट ठ त थ प फ
प्रत्येक वर्ग के तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम व्यंजन, घोष व्यंजन कहलाते है। जैसे- ग घ ङ ज झ ञ ड ढ ण द ध न ब भ म
प्रत्येक वर्ग के प्रथम , तृतीय , पंचम व्यंजन ,अल्पप्राण व्यंजन कहलाते है। जैसे – क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म
प्रत्येक वर्ग के द्वितीय एवं चतुर्थ व्यंजन, महाप्राण व्यंजन कहलाते है। जैसे – ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ
वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं। इनमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 56 वर्ण होते हैं इसमें 11 स्वर , 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं, जिसमें 33 व्यंजन मानक हिंदी व्यंजन होते हैं, चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ) होते हैं और दो उत्क्षिप्त व्यंजन होते हैं।
क से तक ज्ञ 36 अक्षर होते हैं।
आशा करते हैं कि आपको वर्णमाला का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही ब्लॉग पढ़ने के लिए 'हिमवंत' पर बने रहिए।
Thanku
ReplyDeleteबहुत अच्छा
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