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DIET नई टिहरी में ढोल-दमाऊ प्रशिक्षण एवं साउंड ट्रैक निर्माण कार्यशाला हुई संपन्न

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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) नई टिहरी में 31 जनवरी से 4 फरवरी 2025 तक आयोजित ढोल-दमाऊ प्रशिक्षण एवं साउंड ट्रैक निर्माण कार्यशाला संपन्न हुई है। संस्थान की प्राचार्य हेमलता भट्ट ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहपूर्वक प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पहाड़ की पारंपरिक लोक विधाओं एवं संस्कृति को संजोए रखना है, और इसे भविष्य में भी जारी रखा जाएगा।     पांच दिवसीय इस कार्यशाला में टिहरी गढ़वाल के 9 विकासखंडों के माध्यमिक विद्यालयों से 9 शिक्षकों एवं 18 छात्रों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को प्रसिद्ध ढोल वादक श्री उत्तम दास एवं श्री कुलदीप द्वारा ढोल-दमाऊ की पारंपरिक तालों जैसे धुयांल, देवी नृत्य, रासौं, बढ़ै ताल आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, श्री रमेश द्वारा मसकबीन वादन की बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया गया। कार्यशाला में विद्यालयों की प्रार्थना सभाओं को और भव्य एवं आकर्षक बनाने के लिए बहुभाषी गीत रचना एवं संगीत संयोजन पर भी कार्य किया गया। अब तक संस्थान द्वारा 22 साउंड ट्रैक तैयार किए जा चुके...

A story of an unknown journey' by- Sushil Dobhal' अनजान सफर के वह सात दिन'- सुशील डोभाल,

 
लेकी कोई 30-35 साल की महिला थी। मुझे नहीं मालूम कि वह विवाहित थी या अविवाहित। वह अपनी मातृभाषा तिब्बती के अलावा एक गाइड के रूप में टूटी-फूटी हिंदी बोल सकती थी जो मुझे समझाने के लिए काफी थी। ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों और पथरीले वीरान रास्तों से होते हुए कई घंटे के सफर के बाद हम शाम के वक्त चारों ओर पहाड़ों से घिरी हुई एक समतल भूमि पर पहुंच गए। यहां से आगे के सफर को लेकर उसने जोखिम की संभावना व्यक्त करते हुए यहीं पड़ाव डालने के लिए कहा। चारों तरफ वीरान पहाड़, पेड़ पौधों का कहीं नामोनिशान नहीं, बस कहीं-कहीं पर छोटी मखमली घास देख ऐसा प्रतीत होता मानो किसी अजनबी दुनिया में आ गए। यहीं कभी मिट्टी और पत्थरों से बना लेकिन अब खंडहर हो चुका चरवाहों का घर हमारा पड़ाव बना था।
  लेकी ने अपने थैले से त्सम्पा निकालकर मुझे फिर से खाने को दिया। इस सफर में बस पानी के साथ एक त्सम्पा ही था जिसे खाकर हम अपनी भूख मिटा सकते थे, और अब तो मुझे भी इसका स्वाद कुछ ठीक लगने लगा था। लेकी ने मुझे सोने से पहले कुछ स्थानीय देवताओं के बारे में जानकारी देते हुए उनका अभिवादन करने का विशेष तरीका भी समझाया और बताया कि बाहरी व्यक्तियों की गतिविधियों पर उनकी बड़ी नजर रहती है। 

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