साध्वी निरंजन ज्योति
पिता के साथ करती थी मजदूरी, आज हैं राजनीति और आध्यात्म के शिखर पर
‘साध्वी निरंजन ज्योति’
शोध आलेख- सुशील डोभाल
भारतीय समाज में महिलाओं का योगदान हमेशा से ही सराहनीय और
अतुलनीय रहा है। देश में ऐसी प्रतिभाशाली,
निपुण और दृढ़निश्चयी महिलाओं की कमी
नहीं है जो अपने अनूठे योगदान के लिए करोडो लोगों के लिए रोल
मॉडल बनी है और लाखों लोगों को अपने नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित कर रही
हैं। इस शोध लेख के माध्यम से यहाँ एक ऐसी सफल महिला के सफरनामे पर प्रकाश डाला जा
रहा हैं, जिनका जीवन हमेशा चुनौतियों और कठिनाइयों से भरा रहा। गरीबी के
कारण बचपन में तमाम परेशानियों और कठिनाइयों से संघर्ष करने के बाद न केवल वह
राजनीति में बल्कि धर्म और आध्याम के शिखर पर भी अपना परचम लहरा रही हैं। यहाँ बात
की जा रही हैं केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की, जो
तमाम मिथकों को तोड़कर आज आध्यात्म और
राजनीति के क्षेत्र में सफलता का ध्वज
लहरा रहीं हैं।
तमाम चुनौत्तियों और
कठिनाइयों से भरे रास्तों पर चलकर साध्वी निरंजन ज्योति न केवल केंद्रीय मंत्री के
मुकाम पर पहुंचीं बल्कि सनातन के रक्षक माने जाने वाले निरंजनी अखाड़े की
महामंडलेश्वर बन कर अध्यात्मिक बुलंदियां अपने नाम दर्ज करवा चुकी हैं। राजनीति और
धर्म-अध्यात्म, दोनों के शिखर तक
पहुंचीं साध्वी का बचपन बेहद गरीबी और चुनौतियों के बीच गुजरा है। बचपन में ही
पिता के साथ काम के बदले अनाज योजना में वह कभी मजदूरी करने जाती थीं, मजदूरों के साथ फावड़ा और बेलचा चलाती थीं और
अपने कठोर परिश्रम से आज धर्म और आध्यात्म के शिखर से लेकर एक कुशल राजनेता के रूप
में भी अपना लोहा मनवा रही हैं। बचपन से ही धर्म और आध्यात्म से बेजोड़ लगाव रहने के कारण आगे चल
कर करीब 23 वर्ष उस उम्र में जब
इस पृष्ठभूमि की आम लडकियां हाथों में मेहंदी रचाने और शादी के सपने देख रही होती
हैं तब निरंजन ज्योति ने संन्यास ग्रहण कर स्वयं को धर्म और आध्यात्म के मार्ग पर
चलते हुए राष्ट्र और जनसेवा के लिए समर्पित कर दिया.
साध्वी
निरंजन ज्योति का जन्म उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सुदूरवर्ती ग्राम पत्योरा मलिहाताला में एक
निर्धन मजदूर परिवार में 1 मार्च, 1967 को हुआ। बचपन से ही निरंजन ज्योति सामाजिक एवं आध्यात्मिक
स्वभाव की थी. घर में पिता स्व. शिव प्रसाद और माता शिवकली के साथ वह भी
पूजा-पाठ करती थीं।14 वर्ष की आयु में ही वह
स्वामी अच्युतानंद जी महाराज की शरण में
आ गई और 1984 में उनकी ही प्रेरणा से सन्यास दीक्षा ले
ली। स्वामी अच्युतानंद जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद युगपुरुष
महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज के संरक्षण में देश में हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार शुरू किया। सन्यासी होकर अध्यात्म की यात्रा
के साथ-साथ बारहवीं की शिक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश से पूरी की. इसी
दौरान उन्होंने स्वामी परमानंद जी महाराज के सानिध्य में विश्व
हिन्दू परिषद के कार्यक्रमों प्रतिभाग करना शुरू किया।
सन 1987 में
विश्व हिन्दू परिषद के संपर्क में आकर निरंजन ज्योति ने सक्रियता के साथ श्रीराम
जन्मभूमि आन्दोलन में पूरे देशभर में भ्रमण करते हुए जनजागरण कर हिंदुत्व का अलख
जगाया। वनवासी-गिरिवासी व अभावग्रस्त लोगों के बीच भौतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा के
प्रचार-प्रसार के लिए एकल विद्यालय, श्रीहरि सत्संग समिति की संरक्षिका के
रूप में सम्पूर्ण भारत में प्रवास किया। दुर्गावाहिनी उत्तर प्रदेश की संरक्षिका तथा
साध्वी शक्ति परिषद की केन्द्रीय पदाधिकारी के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद के
केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के सदस्य के रूप में सक्रिय रहीं। निरंजन
ज्योति दुर्गा वाहिनी और विश्व हिंदू परिषद से होते हुए भारतीय जनता पार्टी में आई
हैं। उनकी छवि तेज-तर्रार और बेबाक नेता की रही है। साध्वी निरंजन ज्योति गेरुआ
वस्त्र धारण करती हैं और प्रवचन भी देती हैं। वह कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं
से जुड़ी हैं। साध्वी निरंजन ज्योति निषाद समुदाय से आती हैं और यूपी में ही
नही देशभर में भगवा ब्रिगेड का बड़ा चेहरा मानी जाती हैं।
साध्वी निरंजन ज्योति का अभी तक
राजनीतिक सफर अनेक उतार चढ़ाव के बावजूद शानदार रहा है। 2002 में
पहली बार हमीरपुर से भाजपा से टिकट लेकर साध्वी चुनाव लड़ीं, लेकिन
पांच हजार वोटों से हार गईं। 2007 में दोबारा विधायक पद के चुनाव मैदान
में उतरीं, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। युगपुरुष महा मंडलेश्वर स्वामी परमानंद
महाराज की शिष्या साध्वी निरंजन ज्योति ने सियासी पारी खेलने के लिए यहां विधानसभा
सीट के लिए बड़ा संघर्ष किया है। दो बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी साध्वी ने
धैर्य नहीं छोड़ा। 2012 में फिर चुनाव लड़ीं और जीती इसके बाद 2014 में
पार्टी में इनका कद बढ़ाया तो फतेहपुर लोकसभा का चुनाव जीत गईं। इसके साथ ही
केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण राज्य मंत्री बनकर जनता की सेवा की।
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति प्रयागराज कुम्भ के शाही स्नान से एक दिन पहले
सोमवार 14 जनवरी 2019 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की सोलहवीं महिला
महामंडलेश्वर बनीं। सनातन धर्म के रक्षक माने जाने वाले अखाड़ों के लिए
महामंडलेश्वर बनने के लिए सन्यासियों को अनेक कड़े मानकों से होकर गुरना होता है। निरंजनी
अखाड़े में महिला महामंडलेश्वर बनने के लिए साध्वी निरंजन ज्योति ने विधिवत आवेदन
किया था। उनके अलावा और भी कई आवेदन थे। 13 अखाड़ों ने योग्यता के आधार पर केंद्रीय
मंत्री को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया। उनसे पहले संतोषी गिरि, संतोषानंद सरस्वती, मां अमृतामयी, योग शक्ति समेत कुल 15 महिलाएं निरंजनी अखाड़े से महामंडलेश्वर
बन चुकी हैं।
निरंजनी अखाड़े के महंत और अखिल भारतीय
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के मुताबिक साध्वी निरंजन ज्योति
साध्वी पहले हैं और केंद्रीय मंत्री बाद में। साध्वी निरंजन ज्योति निरंजनी अखाड़े
के महामंडलेश्वर परमानंद गिरी की शिष्या हैं। इसलिए उन्हें निरंजनी अखाड़े के
आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी की मौजूदगी में महामंडलेश्वर की पदवी दी गई है।
इस पदवी को हासिल करने के साथ ही साध्वी निरंजन ज्योति निरंजनी अखाड़े की 16वीं महिला महामंडलेश्वर बन हैं। निरंजनी
अखाड़े का इतिहास काफी पुराना हैं। माना जाता हैं इसकी स्थापना सन् 904 में
विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष दिन सोमवार को गुजरात की मांडवी नाम की जगह
पर हुई थी। महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर
गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन
भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश
पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव
रखी। अखाड़े का मुख्यालय तीर्थराज प्रयाग में है. उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर
व उदयपुर में अखाड़े के आश्रम हैं। शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी
साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है. इनमें से कुछ डॉक्टर, कुछ
वकील, प्रोफेसर, संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी शामिल
हैं।
साध्वी निरंजन ज्योति सनातन
के रक्षक रूप में जाने जाने वाले दुसरे सबसे प्रभावशाली निरंजनी
अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर होने के साथ ही एक कुशल राजनेता भी हैं। वर्ष 2019 में
फतेहपुर लोकसभा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्यासी के रूप में
चुनाव में रिकॉर्ड वोट पाकर इन्होंने अपना ही 2014 का रिकार्ड तोड़ दिया। अब 2024 में
18वें लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साध्वी निरंजन
ज्योति पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हें फतेहपुर से पार्टी प्रत्यासी बनाया
है। निरंजन ज्योति फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार अब चुनाव
मैदान में होगी। केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति लगातार वर्ष 2014 से जिले से सांसद है। साध्वी
निरंजन ज्योति उत्तर प्रदेश में कश्यप के साथ ही निषाद समुदाय की बड़ी नेता हैं.
संतोष गंगवार और उमा भारती के बाद साध्वी निरंजन ज्योति तीसरी ऐसी नेता हैं, जो पिछड़े वर्ग से आती हैं और उत्तर
प्रदेश में ही नहीं अब वह देशभर में पिछड़ों के साथ ही हिंदुत्व का बड़ा चेहरा मनी
जाती हैं.
वह धार्मिक पुस्तकें जैसे श्रीमद् भागवत, श्री राम कथा, गीता और उपनिषद पढ़ने में रूचि रखती हैं। साथ ही तीर्थयात्रा और धार्मिक भजन सुनना भी पसंद करती हैं। वह बताती हैं कि राजनीति में आने के पीछे भी अलग ही वजह है। शुरुआती दौर में राजनीति में कोई रुचि न थी, लेकिन वर्ष 1984 में कुछ ऐसा घटा कि उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ा। यह वह वक्त था जब वह हरिद्वार में संन्यास ग्रहण कर चुकी थीं। अयोध्या में राम मंदिर का ताला खोलने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका। उसी दौरान मुस्लिम नेता शहाबुद्दीन के हिंदुत्व विरोधी भाषण व अयोध्या मार्च के ऐलान ने उन्हें विवस कर दिया था। इसके चलते वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़ कर राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय हो गईं। साध्वी निरंजन ज्योति कहती हैं कि वह राजनीति को कभी धर्म से अलग नही मानती। वह धर्म के मार्ग पर चल कर ही राजनीति के क्षेत्र में ही समाज और राष्ट्र के लिए कुछ कर पा रही है।
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