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Himwant Educational News |
उत्तराखंड में राजकीय इंटर कलेज प्रधानाचार्य विभागीय परीक्षानि यमावली में संशोधन तो कर लिया गया है, लेकिन बिना बीएड शिक्षक ए को इस बार भी नियमावली में शामिल नहीं किया गया है। जबकि उच्च न्यायालय ने बिना बीएड शिक्षकों को प्रधानाचार्य विभागीय परीक्षा में शामिल करने का आदेश पारित किया हैं। न्यायालय के वादों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया। शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में शासन को जो संशोधन प्रस्ताव भेजा, उसमें शिक्षक परीक्षार्थी की आयु 50 वर्ष से बढ़ाकर 55 वर्ष और एलटी से पदोन्नत प्रवक्ता की पात्रता 10 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दी गई है। अन्य नियम पूर्ववत रखे गए हैं।
शिक्षकों का कहना है कि बिना बीएड प्रवक्ता शिक्षकों की पदोन्नति के लिए दो-दो नियम कैसे हो सकते हैं। पहला यदि बिना बीएड प्रवक्ता विभागीय पदोन्नति के बाद प्रधानाध्यापक बनते हैं तो उनकी दो वर्ष की बतौर प्रधानाध्यापक की सेवा पूरी हो जाने पर वह एक और पदोन्नति पाकर प्रधानाचार्य बन सकते हैं, लेकिन यदि वहीं नान बीएड प्रवक्ता यदि प्रधानाचार्य की विभागीय परीक्षा के लिए आवेदन करता है तो उत्तराखंड राज्य शैक्षिक (अध्यापक संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली 2022 और संशोधित नियमावली में पात्र नहीं होगा।नियमावली को नान बीएड प्रवक्ता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने ऐसे प्रवक्ताओं के पक्ष में आदेश पारित किए। जिसके बाद न्यायालय जाने वाले शिक्षकों प्रधानाचार्य विभागीय परीक्षा में शामिल कर लिया, लेकिन नियमावली में शामिल नहीं किया गया। अब नान बीएड प्रवक्ताओं का कहना है कि विभाग स्वयं ही यह स्वीकार कर रहा है कि न्यायालयों में वादों के चलते नियमावली में संशोधन किया गया, लेकिन संशोधन में नान बीएड को शामिल नहीं किया गया।
राजकीय शिक्षक संघ को विभागीय परीक्षा स्वीकार नही
राजकीय शिक्षक संघ ने प्रधानाचार्य पद के लिए शत प्रतिशत पदोन्नति की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन और अनशन प्रारंभ किया था। ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय परिसर में तीन दिन अनशन भी किया। जिसके बाद शिक्षा निदेशक ने आश्वासन के बाद शिक्षक संघ का अनशन तुड़वाया। राजकीय शिक्षक संघ आज भी इस बात को लेकर अड़िग है कि प्रधानाचार्य के पदों पर विभागीय परीक्षा स्वीकार नहीं है। सरकार शत प्रतिशत पदोन्नति से प्रधानाचार्य के पदों को भरे। जबकि सरकार प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत विभागीय सीमित परीक्षा और 50 प्रतिशत पदों पर विभागीय पदोन्नति देने का नियम बनाया है।
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