नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार की एसएलएपी के सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो जाने से उपनल कर्मचारियों में अपने सुरक्षित भविष्य की उम्मीद जाग गई। उपनल कर्मचारी पिछले छह साल से हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के नियमितीकरण और समान कार्य-समान वेतन के आदेश को लागू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार शाम फैसले की खबर आने के बाद उपनल कर्मचारियों ने परस्पर मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया।
उपनल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद गोदियाल और महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी की खारिज कर दिया है। लिहाजा अब हाईकोर्ट का वर्ष 2018 का फैसला मान्य हो गया है। अब सरकार से अनुरोध है कि वो सर्वोच्च अदालत के फैसले के अनुसार जल्द से जल्द कार्यवाही शुरू करें। उपनल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत सिंह रावत ने सरकार से जल्द हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार नियमितीकरण की कार्यवाही करने की मांग की। विद्युत संविदा एकता मंच के संयोजक विनोद कवि ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। इससे राज्य के विभिन्न विभागों में उपनल माध्यम से कार्यरत सैकड़ों संविदा कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा। मालूम हो कि 12 नवंबर 2018 को नैनीताल हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने और तब तक समान कार्य का समान वेतन देने के आदेश दिए थे। लेकिन सरकार तुरंत ही इस फैसले के खिलाफ एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। वर्ष 2018- 19 से जारी कानूनी संघर्ष लड़ते लड़ते उपनल कर्मचारी कभी कभार थके तो जरूर लेकिन मनोबल नहीं खोया और लड़ाई जारी रखी।
वर्षों की नौकरी के बाद भी नहीं है सुरक्षित भविष्य
उपनल से वर्तमान में सरकारी और गैरसरकारी विभागों में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी आउटसोर्स में नौकरियां कर रहे हैं। कई कर्मचारियों को 15 से 20 साल तक का वक्त हो चुका है। उपनल कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी विद्यासागर धस्माना कहते हैं कि यदि कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं होती तो कई कई साल तक उन्हें क्यों तैनात किया जाता? वर्षों की सेवा के के बावजूद कर्मचारी का भविष्य सुरक्षित नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कर्मचारियों की जीत है।
सरकार कर रही है इस फैसले के असर का परीक्षण,
सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सरकार सभी पहलुओं का अध्ययन भी कर रही है। इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों का नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा। सूत्रों के अनुसार देर शाम आदेश की प्रति आने के बाद वित्त विभाग भी हरकत में आ गया था। उपनल कर्मियों के नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन देने पर होने वाले वित्तीय भार का आंकलन भी किया जा रहा है।
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