SCERT Uttarakhand: एससीईआईटी उत्तराखंड की पहल पर धारचूला में शुरू हुई रं भाषा शब्दकोश की तीन दिवसीय कार्यशाला, दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय से जुड़ी लोकभाषा के संरक्षण और संवर्धन के होंगे प्रयास
Report by- Sushil Dobhal
पी.एम.श्री राजकीय बालिका इंटर कॉलेज धारचूला |
10 नवंबर से 12 नवंबर 2024 तक चलने वाली तीन दिवसीय कार्यशाला में एस सी ई आर टी द्वारा कक्षा 1 से 5 के लिए विकसित सहायक पुस्तकों का परिमार्जन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्य में बोली जाने वाली लोक भाषाओं के शब्द कोश का भी निर्माण एस सी ई आर टी उत्तराखंड द्वारा गतिमान है। कार्यशाला में रं भाषा के शब्दों को भी अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा। कार्यशाला में एस सी ई आर टी उत्तराखंड देहरादून से संयुक्त निदेशक प्रदीप रावत के साथ साथ पाठ्यक्रम विभाग से सोहन सिंह नेगी, डॉ शक्ति प्रसाद सेमल्टी तथा एन ई पी प्रकोष्ठ से रविदर्शन तोपाल, मनोज किशोर बहुगुणा तथा सचिन नौटियाल कार्यशाला का समन्वयन कर रहे हैं। इस अवसर पर रं संग्रहालय के कृष्ण सिंह गर्ब्याल भी उपस्थित रहे। कार्यशाला में धारचूला की तीनों घाटियों व्यास, दारमा तथा चौदास से शिक्षक शिक्षिकाएं प्रतिभाग कर रही हैं। कार्यशाला में ब्लॉक समन्वयक जगदीश चंद, आभा फ़कलियाल, रजनी नपलच्याल, गिरधर सिंह रौतेला, संजय नगन्याल, नारायणी एतवाल, हिरंदा कुटियाल, पूनम ग्वाल, त्रिभुवन गर्ब्याल, हेमवती गर्खाल, रेणुका फ़िरमाल, राजेश्वरी सोनाल तथा जस्ता तितियाल सहित कुल तीस शिक्षक शक्षिकाएं प्रतिभाग कर रहे हैं।
कौन है रं समुदाय के लोग
पिथौरागढ़ जिले के दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय के लोग रामायण और महाभारत काल से ही अपनी विशेष भाषा को बचाये हुए हैं. इस भाषा को स्थानीय लोग रंल्वो भी कहते हैं. बहरहाल, इस प्राचीन भाषा की कोई लिपि नहीं है. यह सिर्फ बोल-चाल के जरिए ही चलन में है। रं समुदाय के लोग इस प्राचीन लोकभाषा को सोशल मीडिया के जरिये देवनागरी लिपि में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जिसके चलते ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप में भी लोग रंल्वो भाषा से रुबरु हो सकेंगे. वहीं, रं समुदाय के लोग लंबे समय से सोशल मडिया के जरिये युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा से जोड़ रहे हैं. इन ग्रुपों के माध्यम से रं जाति छंदों, गीतों और कहानियों का प्रचार-प्रसार कर रही है.
वहीं, रंल्वो भाषा की अपनी कोई लिपि ना होने के चलते इसके प्रयोग को लेकर दो मत सामने आ रहे हैं. जिसके चलते रं समुदाय के बुजुर्ग इसे देवनागरी लिपि में तैयार करने पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में इस समुदाव से जुड़े युवा इसे रोमन लिपि में संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रं समुदाय की भाषा रंल्वो के बारे में चर्चा करने से समुदाय के लोग काफी खुश है और उन्हें इस भाषा के संरक्षण की एक नई उम्मीद दिखाई दे रही है.
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